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बिहार में चमकी का खौफ: घर में ताला जड़ भाग रहे लोग, पलायन जारी!

वैशाली में एक गांव ऐसा है जहां, घरों में कई दिनों से चूल्हे नहीं जल रहे. यहां चमकी बुखार की वजह से लोग दहशत में हैं. इस वजह से लोग गांव छोड़ने के लिए विवश हैं. पिछले कुछ दिनों में इस बीमारी ने गांव के 12 बच्चों को मौत की नींद सुला दिया है.

many people migrating from a village of vaishali due to aes

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Published : Jun 21, 2019, 5:29 PM IST

वैशाली:यह तस्वीर वैशाली जिले के भगवानपुर प्रखंड के हरिवंशपुर पंचायत की है. यहां कई माओं की गोद सूनी हो चुकी है. कई पिता के भविष्य काल के गाल में समा चुके हैं. वजह है चमकी बीमारी. चमकी से सिर्फ इसी गांव से 12 बच्चों की मौत हो चुकी है.

हर कोई अपने बच्चों को बचाने के लिए अपना गांव छोड़कर पलायन कर रहा है. कई घरों में ताले लग चुके हैं. गांव वालों में दहशत है कि कहीं चमकी की चपेट में हमारे बच्चे भी ना आ जाएं. लोग मानते हैं कि चमकी छुआछूत है. ऐसे में जान है तो जहान है. इसलिए गांव छोड़कर निकल जाना ही बेहतर है.

वीरान पड़ा गांव

इनकी बच्ची चमकी से पीड़ित थी. अचानक दौरे पड़ने लगे. यह उसे बचाने के लिए मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे. लेकिन अफसोस 24 घंटे में ही इस पिता ने अपनी लाडली बेटी खो दिया. चमकी की वजह से इनकी बच्ची की मौत हो गई.

पटना जाएंगे.

वहीं यह मां भी अपने बच्चे को अभी-अभी केजरीवाल अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर लाई है. उसे भी AES की बीमारी हो गई थी. लेकिन अब यह ठीक है और उसकी मां अब उसे यहां नहीं रखना चाहती. वह यहां से दूर चली जाना चाहती है.

ग्राउंड रिपोर्ट

गांव वालों के मुताबिक लोग यह गांव छोड़कर पटना जा रहे हैं जहां मेहनत मजदूरी करके यह अपना जीवन यापन करेंगे. इनका मानना है कि अगर बच्चे रहेंगे तो हमारा भविष्य बदल सकता है. ऐसे में गांव छोड़ने में कैसा परहेज. फिलहाल बुजुर्ग इस गांव की रखवाली कर रहे हैं. और सभी बच्चों को बाहर भेज रखा है.

घर में ताला लगाने के बाद सुरक्षा के इंतजाम

वहीं गांव के बहुत से लोगों का मानना है कि समय रहते लोगों को जागरुक किया गया होता तो शायद उनका चिराग नहीं बुझता. शायद इनके आंगन में वह बच्चे खेल रहे होते जो एईएस की चपेट में आने से मर गए.

मासूम प्यारें हैं.

वोट लेने वाले हाल तक जानने नहीं आए
गांववाले कह रहे हैं कि इस गांव में अबतक कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा. चमकी बीमारी इस गांव में पहली बार आई है. लेकिन हमेशा वोट मांगने वाले नेता अब तक इनसे इनका हाल जानने नहीं पहुंचे. गांववालों को पीने का पानी भी नहीं है.

जागरूकता का अभाव

दर्जनों जानें गईं तो दवाईयां बंटनी शुरू हो गईं
हालांकि जब इस गांव के दर्जनों बच्चों की जान चली गई तो स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और कैंप लगाकर दवाईयां बांटी जाने लगीं. लेकिन काश यह दवाईयां पहले बांटी होतीं और जागरूकता संदेश पहले चलाए होते तो शायद इस गांव के 12 बच्चे बच गये होते.

हालात सुधरते ही आ जाएंगे.

बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी
इस गांव में पसरे सन्नाटे के बाद जब ETV भारत ने पड़ताल की तो पता चला कि यहां बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. इस गांव के ज्यादातर ग्रामीण बहुत गरीब हैं. उनके घर में बहुत गर्मी थी. बिजली नहीं पानी नहीं उपर से चमकी ने इनको गांव से बाहर भेजने पर मजबूर कर दिया.

क्या करें साहब, कोई दूसरी नहीं राह...

चमकी से अब तक 173 बच्चों की मौत
मुजफ्फरपुर और आसपास के जिले में एईएस (चमकी बुखार) से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. अब तक इस बीमारी से 173 बच्चों की मौत हो चुकी है.

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