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वैशाली का दियारा जहां बहती है शराब की नदियां, ग्राउंड जीरो से देखें शराबबंदी की हकीकत - etv bharat

बिहार के वैशाली के राघोपुर दियारा क्षेत्र में शराब की नदियां (Liquor Smuggling in Vaishali) बहती हैं. इस रिपोर्ट में हम आपको ग्राउंड जीरो से शराब कारोबार का सच दिखा रहे हैं, जहां पुलिस भी जाने से डरती है. ईटीवी भारत ने इस इलाके में 20 किलोमीटर पैदल सफर कर लाइव तस्वीरों को कैद किया है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

liquor Smuggling in vaishali
liquor Smuggling in vaishali

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Published : Feb 7, 2022, 8:57 PM IST

वैशाली:अक्सर फिल्मों में शराबियों के डायलॉग सुने होंगे कि शराब की नदियां बहा दूंगा, लेकिन हम आपको बिहार में एक ऐसे जगह की सैर करवाने वाले हैं जहां वाकई शराब की छोटी छोटी एक दो नहीं बल्कि कई सारी नदियां बहती हैं. यही नहीं लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में हर कदम पर लैंडमाइंस की तरह शराब के ड्रम को मिट्टी में छिपाकर रखा गया है. कई हजार शराब से भरे ड्रम इन इलाकों में हैं. दरअसल, वैशाली का राघोपुर दियारा क्षेत्र (Vaishali Raghopur Diyara Area) जहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां स्थानीय लोगों की मर्जी के बगैर एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है.

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वैशाली में शराब माफियाओं पर शिकंजा (Liquor mafia in Vaishali) कसने के लिए कई बार पुलिस इस इलाके में पहुंची तो जरूर, लेकिन कभी मार खाकर वापस आ गई तो कभी शराब माफियाओं ने बाहर से ही खदेड़ दिया. बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाने का मुख्य कारण बिहार सरकार राघोपुर दियारा क्षेत्र को मान रही है. ऐसे में उत्पात कमिश्नर कई क्षेत्रों में लगातार दौरा कर कार्रवाई (Excise Action in Vaishali) कर रहे हैं. ये इलाका क्राइम के मामले में इतना चर्चित है कि यहां उत्पाद कमिश्नर को भी चार डीएसपी और सैकड़ों फोर्स के साथ जाना पड़ रहा है. यही नहीं इसके लिए पूरी ड्रोन टीम लगाई गई है, जो पहले इलाके को सर्च करते हैं और इसके बाद पुलिस हिम्मत करती है.

साथ ही बिहार का तेजतर्रार खोजी दस्ते का कुत्ता हंटर भी इस इलाके में पुलिस की मदद कर रहा है. चर्चित राघोपुर दियारा क्षेत्र में पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने लगभग 20 किलोमीटर का पैदल सफर पूरा किया. एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए दो नाव बदली गई और ऐसी तस्वीरों को कैद किया जिससे आप जान सकें कि राघोपुर दियारा क्षेत्र से शराब कारोबारियों को पूरी तरह खत्म करना कितना मुश्किल है.

बता दें कि यह पूरा इलाका गंगा नदी की धाराओं से घिरा हुआ है. यही कारण है कि राघोपुर को गंगा नदी के बीच का टापू भी कहा जाता है. यहां पहुंचने के दो रास्ते हैं एक रास्ता पटना कच्ची दरगाह से है, तो वहीं दूसरा रास्ता बिदुपुर थाना क्षेत्र के चेचर से है. साल में करीब 8 महीने पीपा पुल से आवागमन होता है, तो वहीं बाकी समय नाव की सवारी की जाती है. इलाके में सड़क की सुविधा नहीं होने के कारण यहां पहुंचना बेहद मुश्किल और जोखिम भरा माना जाता है. यह पूरा इलाका 4 जिलों से घिरा हुआ है. इसका ज्यादातर हिस्सा वैशाली और पटना जिले में है, उसके बाद समस्तीपुर और सारण जिले में भी राघोपुर का दियारा क्षेत्र लगा हुआ है.

यही कारण है कि यहां की भौगोलिक स्थिति हथियारों की सप्लाई और शराब के अवैध कारोबार को लेकर अपराधियों के लिए बेहद सुरक्षित है. मामला गांजा तस्करी का हो या अपराधियों के छिपने के ठिकानों का सभी मामलों में यह इलाका बिहार में नंबर वन स्थान पर है. पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस इलाके में शराब माफियाओं पर नकेल लगाना है, क्योंकि अगर यहां शराब का अवैध कारोबार बंद होता है तो बिहार के कई इलाकों में इसका असर पड़ सकता है. दरअसल, उत्पाद की टीम जब मौके पर पहुंची तो शराब माफिया तैयार शराब और कच्ची शराब के सामान को उड़ेल कर नाव से फरार हो गए, लेकिन तस्वीरों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर यहां शराबबंदी वाले बिहार में शराब का खेल चलता है.

राघोपुर दियारा क्षेत्र के विकास की बात स्थानीय लोग और नेताओं के द्वारा की जाती रही है, लेकिन कुछ लोग बताते हैं कि यहां के अवैध धंधे वालों का दबदबा राजनीति में भी काफी ऊपर तक है. कमोबेश सभी पार्टियों में राघोपुर के दबंगों का दबदबा है. ऐसे में विकास की बात होती तो जरूर है, लेकिन हर बार यहां की भोली-भाली जनता सिर्फ ठगी जाती है. जाहिर है अगर राघोपुर का विकास हो जाता है, तो सैकड़ों अपराधियों के लिए छिपने का आशियाना भी खतरे में आ जाएगा.

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