वैशालीःदीपावली(Deepawali) के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में छोटी बच्चियां घरौंदा बनाती हैं. कोमल हृदय की बच्चियां जब बड़ी होती है तो उन्हें उनकी मां घरौंदे के बहाने पूरी गृहस्थी समझाने की कोशिश करती हैं. किस तरह घर बनता है. किस तरह घर में खाने के सामान होते हैं और किस तरह अपनों को वह परोसा जाता है. लड़कियां दीपावली में इस खेल को खेलते खेलते गृहस्थ जीवन की बारीकियां खुद ही सीख जाती हैं. इस तरह दीपावली की परंपरा मनोरंजन के साथ साथ बेटियों में संस्कार भी दे जाती है.
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दीपावली में ग्रामीण बच्चियों द्वारा बनाए जाने वाला घरौंदा बेटियों में संस्कार भरता है. गृहस्थ जीवन की बारीकियां सिखलाता है. वैशाली के सराय प्रखंड में आज भी घर की बेटियां परंपरागत तरीके से दीपावली के अवसर पर घरौंदा बनाती है. घरौंदा बनाने में भले ही इनके बड़े इनका मार्गदर्शन करते है, लेकिन ज्यादा तर काम बच्चियां खुद करतीं हैं.
घरौंदा के लिए ईट लाना, मिट्टी को पानी से गोद कर घर जोड़ना उनका रंग रोगन करना इन सारे कामों में बच्चियों को बड़ा मजा आता है. घरौंदा बनाने की शुरुआत बच्चियां दीपावली से चार दिन पहले ही करती है. जब घरौंदा बन जाता तो दीपावली की रात यहां दीप जलाकर पहले पूजा करती हैं फिर खाना बनाने वाले छोटे बर्तनों में लड्डू वगैरह रख कर बड़ों को देती हैं. बदले में उन्हें अपने बड़ों से तोहफा भी मिलता है.