वैशाली:बिहार के वैशाली मेंरामनवमी पर भव्य मेला (Grand Fair is Organized in Vaishali on Ram Navami) लगा है. हाजीपुर के रामचौरा मंदिर में इस मेले का आयोजन किया गया है. मान्यता है कि श्री राम के 249 प्रमुख स्थानों में 22वें नंबर पर हाजीपुर का रामचौरा मंदिर आता है. कहा तो यह भी जाता है कि रामचौरा मंदिर से ही रामनवमी मेले की शुरुआत हुई थी. राक्षसों से परेशान ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए गुरु वशिष्ठ, राजा दशरथ से उनके पुत्र राम और लक्ष्मण (Ram and Lakshman) को मांग कर आश्रम जाने के क्रम में गंगा नदी पार कर हाजीपुर के रामचौरा स्थान पर रुके थे. यहां राम जी और लक्ष्मण जी के सिर का मुंडन भी हुआ. राम के प्रतीक चिन्ह के रूप में इस स्थान पर राम जी का पद चिन्ह मौजूद है.
ये भी पढ़ें-रामनवमी पर बिहार के सरकारी कर्मियों को नीतीश कुमार का तोहफा, अब 34% मिलेगा महंगाई भत्ता
रामचौरा मंदिर में भव्य मेले का आयोजन:प्रत्येक वर्ष रामनवमी के अवसर पर बड़ी संख्या में यहां राम भक्तों की भीड़ जमा होती है. इस अवसर पर बेल और लाई का मेला लगाने की परंपरा है. राम जी के पद चिन्ह के दर्शन करने के लिए लोग नेपाल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न राज्यों से यहां आते हैं. रामचौरा मंदिर में काले पत्थर पर राम जी के पद चिन्ह हैं. लगातार पूजा-पाठ से और स्पर्श करने से पद चिन्ह जब हल्का पड़ने लगा तो अयोध्या से एक सफेद पत्थर पर उकेरा गया पद चिन्ह प्रतीक के रूप में यहां स्थापित किया गया है.
राम जी के पद चिन्ह के दर्शन करने आते हैं भक्त:राम नवमी के अवसर पर आए भक्तों में शिवानी कुमारी ने बताया कि यहां राम जी के चरणों में पूजा करने का खास महत्व है. विशाखा कुमारी ने कहा कि मंदिर में वो पूजा करने आई हैं. क्योंकि हम सब जीवन में आगे बढ़े, हमें भगवान कोई कष्ट नहीं दें, पढ़ाई में आगे बढ़े. मंदिर के बारे में स्थानीय पंकज सिंह ने बताया कि राम चरित्र मानस में चर्चा है कि गुरु वशिष्ठ राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ से राक्षसों के संघार हेतु लेकर जब लौट रहे थे तो नदी पार कर यहां रुके थे. यहां राम जी का पद चिन्ह है.