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नारी सम्मान की अद्भुत मिसाल! मूर्तियों की जगह महिलाएं बनती हैं देवी दुर्गा, काली, लक्ष्मी और सरस्वती

हाजीपुर के अनवरपुर चौक (Anwarpur Chowk of Hajipur) पर नारी सम्मान का अद्भुत मिसाल देखने को मिला है. यहां मूर्ति की जगह नारियों का साक्षात सम्मान किया जाता है. जिसका उद्देश्य समाज से कुरीतियों को हटाकर नारी सम्मान को बढ़ावा देना होता है.

हाजीपुर
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Published : Oct 4, 2022, 12:37 PM IST

Updated : Oct 4, 2022, 1:06 PM IST

वैशाली:शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2022)को लेकर बिहार के वैशाली में नारी सम्मान का अद्भुत मिसाल देखने को मिला है. जहां मूर्ति की जगह नारी देवी बनती है. यहां लोग चैतन्य स्वरूपा देवियों का दर्शन करने आते हैं. महिषासुर मर्दिनी के साथ महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती के जीवंत रूप को देखकर हैरानी से लोग रुक जाते हैं. नारी शक्ति की आराधना जीवित नारियों के साथ करने की अद्भुत परंपरा है.

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चैतन्य स्वरूपों में की जाती है देवियों की पूजा अर्चना:वैसे तो दुर्गा पूजा में आलीशान पंडाल के अंदर मां शक्ति की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर प्राण प्रतिष्ठित कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. जिससे समाज को नारी शक्ति नारी सम्मान का एक संदेश स्पष्ट रूप से जाता है. लेकिन इस संदेश को और भी मजबूती प्रदान करने के लिए हाजीपुर के अनवरपुर चौक (Anwarpur Chowk of Hajipur) पर चैतन्य स्वरूपों में देवियों की पूजा अर्चना की जाती है. यहां मूर्ति की जगह नारियों का सम्मान साक्षात किया जाता है. नारियों के वस्त्र आभूषण रूप सज्जा तमाम चीजें दुर्गा पूजा में बनने वाली मूर्तियों की तरह ही की जाती है. फर्क सिर्फ इतना है कि वहां मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और यहां प्राण वाली नारियों की समाज प्रतिष्ठा करता है. इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.

दो दर्जन से ज्यादा धार्मिक कलाकार लेते हैं हिस्सा:चैत्र नवरात्रि के अवसर पर अष्टमी और नवमी तिथि को ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा नारी सम्मान का यह अद्भुत दृश्य आम लोगों के लिए परोसा जाता है. जिसमें दो दर्जन से ज्यादा धार्मिक कलाकार हिस्सा लेते हैं. जिनका उद्देश्य समाज से कुरीतियों को हटाकर नारी सम्मान को बढ़ावा देना होता है. इसके लिए मंच बनाया जाता है और फिर तमाम तरह की सजावट की जाती है. यहां तक कि खास दुर्गा पंडाल की तरह लाइटिंग और तमाम तरह से उन चीजों का प्रयोग किया जाता है जो पूजा पंडाल को आकर्षक बनाता है. वावजूद यहां का आकर्षक प्रत्यक्ष देवियां है. यहां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, मां काली के अलावे महिषासुरमर्दिनि के स्वरूप को प्रत्यक्ष किया जाता है.

2 सालों बाद चालू हुआ चैतन्य देवी की झांकी:इस विषय में रूबी दीदी बताती हैं कि हम लोग चैतन्य रूप में देवी देवता बनते हैं. क्योंकि हम सभी लोगों में देवी देवता हैं. हम लिविंग देवी देवता बने यही यहां चैतन्य देवी देवता के झांकी का उद्देश्य है. वही स्थानीय चंदू कुमार का कहना है कि हम सभी दर्शक हैं हम लोग हर जगह घूमने के लिए आते हैं. जिसमें यह अनोखा दृश्य लगा चैतन्य देवी की झांकी. जो 2 सालों से बंद पड़ा हुआ था फिर से चालू हुआ है. यह बेहद अनोखा दृश्य है.

"हम लोग चैतन्य रूप में देवी देवता बनते हैं.क्योंकि हम सभी लोगों में देवी देवता हैं. हम लिविंग देवी देवता बने यही यहां चैतन्य देवी देवता के झांकी का उद्देश्य है"- रूबी दीदी, संजोजक, प्रजापति ब्रह्म कुमारी



"हम सभी दर्शक हैं हम लोग हर जगह घूमने के लिए आते हैं. जिसमें यह अनोखा दृश्य लगा चैतन्य देवी की झांकी. जो 2 सालों से बंद पड़ा हुआ था फिर से चालू हुआ है. यह बेहद अनोखा दृश्य है " - चंदू कुमार, स्थानीय

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Last Updated : Oct 4, 2022, 1:06 PM IST

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