पटना: बिहार में ठंड का कहर अब रेल यात्रा पर भी साफ नजर आ रहा है. इसी क्रम में पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर(East Central Railway Hajipur) ने कोहरे को देखते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. जिसके तहत पंडित दीनदयाल उपाध्याय, दानापुर, सोनपुर, समस्तीपुर और धनबाद सब डिवीजन को दिशा निर्देश दिया गया. इसमें ट्रेनों के परिचालन की अधिकतम स्पीड सीमा 60 निर्धारित की गई है. जिसमें ज्यादा फॉग होने पर लोको पायलट स्पीड सीमा को अपने हिसाब से कम कर सकते हैं. इसके अलावा 26 ट्रेनों को रद्द किया गया है साथ ही कई ट्रेनों के परिचालन में बदलाव भी किया गया है.
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दो तकनीकों से होगा फौग पर वार: रेलवे ने घने कोहरे से निपटने के लिए पुरानी और नई दोनों तकनीक का इस्तेमाल किया है. नई तकनीक के तहत जीपीएस सिस्टम से काम करने वाला फॉग सेफ्टी डिवाइस सभी ट्रेनों के इंजन में लगाया गया है. साथ ही पुरानी पद्धति से फॉग डेटोनेटर की व्यवस्था भी की गई है. पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर जोनल ऑफिस से सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि घने कोहरे को देखते हुए कई ट्रेनों को रद्द किया गया है. ट्रेन के परिचालन में भी परिवर्तन किया गया है. इसके साथ ही कई ट्रेनों में आंशिक परिवर्तन किया गया है जबकि ट्रेन सुचारू रूप से चले इसके लिए फॉग सिगनल सिस्टम सभी ट्रेनों में लगाया गया है. जिससे पता चल जाएगा सिग्नल ट्रेन से कितनी दूरी पर है इसके अलावा रेल की पटरियों पर डेटोनेटर बेस्ट ब्लास्ट डिवाइस लगाया गया है. इससे भी सिग्नल की जानकारी मिल जाएगी जिससे यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से घने कोहरे में भी चलाया जा सकता है.
क्या है डेटोनेटर ब्लास्ट: दरअसल ज्यादा फॉग होने से लोको पायलट स्पष्ट तौर पर सिग्नल पूरी तरह नहीं देख पाते हैं. जिससे स्पीड को नियंत्रित करने में परेशानी होती है. साथ ही स्टेशन कितनी दूरी पर है इसकी जानकारी भी सही ढंग से नहीं हो पाती है. जिसके लिए पुरानी पद्धति के तहत सभी स्टेशनों और सिग्नल पर फोग डेटोनेटर दिया जाता है. ट्रेन आने से पहले डेटोनेटर को रेल ट्रैक से लगा दिया जाता था. और जब ट्रेन का पहिया इस पर पड़ता है तो एक ब्लास्ट होता है. जिससे चालक को पता चल जाता है कि आगे सिग्नल है. इसी तरीके की व्यवस्था स्टेशन के पास भी होती है और फिर चालक अपने ट्रेन की रफ्तार धीमी कर लेते थे.
क्या है फॉग डिवाइस सिस्टम:घने कोहरे से निपटने के लिए रेलवे की आधुनिक व्यवस्था के तहत सभी ट्रेनों के इंजन में फॉग सिग्नल सिस्टम लगाया गया है. यह जीपीएस आधारित आधुनिक सिस्टम है. ट्रेन जब भी सिग्नल अथवा स्टेशन के आसपास होती है तो यह सिस्टम लोको पायलट को जानकारी दे देता है कि कितनी दूरी पर सिग्नल अथवा स्टेशन है. जिससे लोको पायलट उसी हिसाब से ट्रेन की गति सीमा को निर्धारित कर सकते हैं. इससे घने कोहरे में भी ट्रेन का परिचालन सुरक्षित हो जाता है.
"फॉग का सीजन है कई ट्रेनें हमारी फॉग के कारण कुछ लेट चल रही हैं और इसी सिलसिले में हम लोगों ने फॉग डिवाइसेज सारे रेल इंजन में लगाएं है. जिससे ड्राइवर को जीपीएस के जरिए सिगनल पोस्ट का आईडिया मिलता रहेगा. हमारे जो एलसी गेट्स और स्टेशन मास्टर के पास फॉग डेटोनेटर है वह इंजन से पहले जो पटरी पर लगाया जाता है. सिग्नल पर ट्रेन के आने से पहले ट्रेन का जब पहला पहिया उस डेटोनेटर पर पड़ता है तो वह ब्लास्ट करता है उससे ड्राइवर को पता चलता है कि हमारा जो सिग्नल है वह अभी आने वाला है. अभी हम लोगों ने सारे इंजन में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगा दिया है इससे यह हुआ है कि इंतजार नहीं करना पड़ेगा निरंतर पता चलता रहेगा कि हमारा सिग्नल कितनी देर के बाद आने वाला है. फॉग की वजह से 26 ट्रेनें कैंसिल हुई है. हमारा मैक्सिमम स्पीड 60 निर्धारित है लेकिन फॉग के हिसाब से चालक जितने में सेफ रहे उतने में ट्रेन को चलाएंगे."- वीरेंद्र कुमार, सीपीआरओ, पूमरे, हाजीपुर
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