वैशाली: बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखने को मिल रही है. वैशाली जिले में डॉक्टरों से लेकर पारा मेडिकल के कई पद खाली हैं. इस कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. हाजीपुर के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने से दलालों की चांदी हो गई है. मरीज इनके बहकावे में आकर प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने चले जाते हैं. वहां इनसे मोटी रकम वसूली जाती है.
जिले के सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने के साथ-साथ टेक्नीशियन के पद भी रिक्त हैं. ऐसे में मरीजों को परेशान देखकर दलाल सक्रिय हो गए हैं. ये गरीब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में बेहतर इलाज होने का झांसा देकर उनकी लुटिया डुबोने का काम कर रहे हैं. यहां आने वाले मरीज जल्दीबाजी में होने के कारण जल्दी इन दलालों के बहकावे में आ जाते हैं.
डॉ. इंद्रदेव रंजन, सिविल सर्जन डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा सदर अस्पताल
सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है. यहां कैंसर के डॉक्टर, टेक्नीशियन और ड्रेसर की कमी है. यहां सिटी स्कैन की मशीन भी नहीं है. अल्ट्रासाउंड की मशीन भी खराब पड़ी है. ऐसे में दूर-दराज से आये मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र से आये अशिक्षित मरीजों को दलाल उनके हावभाव से पहचान लेते हैं और प्राइवेट नर्सिंग होम में बेहतर इलाज का प्रलोभन देते हैं.
दलाल के झांसे में फंस जाते हैं मरीज
मरीज भी इनके बहकावे में आकर हजारों रुपये का नुकसान झेलते हैं. अगर कोई गरीब मरीज पैसे देने में असक्षम है, तो उनके साथ मारपीट की जाती है. कई बार तो इन्हें बंधक बना लिया जाता है और जब तक वो पूरी राशि जमा नहीं करते. उन्हें जाने नहीं दिया जाता है.
सरकार के उदासीन रवैये से लोग मायूस
मरीजों की मानें तो सरकारी अस्पतालों में फैली कुव्यवस्था का खामियाजा उन्हें आये दिन भुगतना पड़ता है. मरीज के परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील की कि अस्पताल की बदहाली पर सरकार ध्यान दे. डॉक्टरों पारामेडिकल, टेक्नीशियन सहित रिक्त पड़े सभी पदों को सरकार जल्द से जल्द बहाली करे.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन?
अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है, ये सिविल सर्जन ने भी माना है. डॉ. इंद्रदेव रंजन ने बताया कि यहां रोजाना दो हजार मरीज आते हैं. उस हिसाब से डॉक्टर और टेक्नीशियन जैसे पदों में भारी कमी है. यहा कैंसर के भी डॉक्टर नहीं हैं. अस्पताल परिसर में सक्रिय दलाल की बात की पुष्टि करते हुए उन्होंने बताया कि एक आशा दलाल को रंगे हाथों पकड़ा गया था और उचित कार्रवाई की गई थी.
मरीजों से अपील
सिविल सर्जन ने कहा कि भीड़ में दलालों को पहचानना मुश्किल होता है. ऐसे में मरीजों को जागरूक होने की जरूरत है. मरीजों को पहले सरकारी अस्पताल में इलाज के लिये आना चाहिए. उन्हें पता करना चाहिए कि जिस बीमारी के इलाज के लिये वो यहां आये हैं वो होगा या नहीं? अगर इलाज नहीं होगा तो परामर्श भी ले सकते हैं, जिसके वो आर्थिक नुकसान उठाने से बच सकेंगे.