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वैशालीः मुन्ना शुक्ला ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ किया नॉमिनेशन, सोशल डिस्टेंस की उड़ीं धज्जियां - Bahubali Munna Shukla nominated

मुन्ना शुक्ला जदयू से टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे. उनका मानना है कि लालगंज विधानसभा सीट पर उनकी जीत पक्की है. इस बार एनडीए गठबंधन में लालगंज की सीट बीजेपी के खाते में चली गई है. इसलिए उन्होंने इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया.

मुन्ना शुक्ला
मुन्ना शुक्ला

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Published : Oct 13, 2020, 12:05 PM IST

वैशालीः बाहुबली मुन्ना शुक्ला सोमवार को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ नॉमिनेशन करने पहुंचे. जहां समाहरणालय से 2 किलोमीटर पहले ही पुलिस ने उनके काफिले को लालगंज रोड पर नाका नंबर 3 के पास रोका दिया. इसके बाद मुन्ना शुक्ला अपनी गाड़ी में दो लोगों के साथ पर्चा भरने गए. दरअसल चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक नामांकन में इस बार जुलुस के साथ जाने की अनुमति नहीं है.

नॉमिनेशन के दौरान सड़कों पर लगा जाम

काफिले के साथ नामांकन करने पहुंचे
वैशाली के बाहुबली मुन्ना शुक्ला ने सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लालगंज विधानसभा से नामांकन का पर्चा भरा. जब नामांकन के लिए वो हाजीपुर पहुंचे तो उनके साथ पूरा काफिला मौजूद था. जहां सोशल डिस्टेंस की जमकर धज्जियां उड़ीं. इस दौरान आचार संहिता का उल्लंघन भी देखने को मिला. पर्चा भरने के बाद मुन्ना शुक्ला ने निराले अंदाज में अपनी जीत की बात बताई.

नॉमिनेशन करने पहुंचे निर्दलीय बाहुबली उम्मीदवार मुन्ना शुक्ला

समर्थकों ने जमकर की नारेबाजी
मुन्ना शुक्ला अपने लालगंज स्थित बंगला से निकले और सैकड़ों की संख्या में मोटरसाइकिल जुलूस के साथ हाजीपुर नाका नंबर 3 के पास पहुंचे. तभी पुलिस ने जुलूस को रोक दिया. मुन्ना शुक्ला अपनी गाड़ी में दो लोगों के साथ पर्चा भरने के लिए गए. लेकिन धीरे-धीरे समर्थक समाहरणालय तक पहुंच गए. जैसे ही बाहुबली मुन्ना शुक्ला समाहरणालय से पर्चा भर कर बाहर निकले, वहां मौजूद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की.

बीजेपी के खाते में चली गई लालगंज सीट
दरसअल मुन्ना शुक्ला जदयू पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे. लेकिन इससे पहले भी वह पूर्व में लालगंज से विधायक रह चुके हैं. उनके जेल जाने के बाद पत्नी को भी लालगंज से विधायक बनाने में सफलता मिली थी. उनका मानना है कि लालगंज की जनता मुन्ना के साथ है और जीत पक्की है. लेकिन इस बार एनडीए गठबंधन में लालगंज की सीट बीजेपी के खाते में चली गई है. जिससे नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया.

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