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इस अनुमंडलीय अस्पताल से मरीजों को कर दिया जाता है 'रेफर', डॉक्टरों और सुविधाओं का घोर अभाव - बुनियादी सुविधाओं से वंचित अस्पताल

सोनपुर का यह रेफरल अस्पताल जो खुद एक अनुमंडलीय अस्पताल भी है. इस अस्पताल में कहने को तो 20 डॉक्टर हैं. लेकिन, ये महज सिर्फ कागजों पर ही सीमित है. छोटे-मोटे इलाज के लिए भी मरीजों को पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है.

बीमार अस्पताल

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Published : Jul 21, 2019, 10:05 AM IST

वैशाली: सरकार अस्पतालों को दुरुस्त करने के लाख दावा कर ले, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले का अनुमंडलीय अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस अस्पताल की स्थिति खराब होने के कारण मरीजों को अक्सर दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. जिससे मरीजों को काफी समस्या होती है.

नदारद हैं डॉक्टर
सोनपुर का यह रेफरल अस्पताल जो खुद एक अनुंडलीय अस्पताल भी है. इसके बावजूद मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. इस अस्पताल में कहने को तो 20 डॉक्टर हैं. लेकिन, ये महज सिर्फ कागजों पर ही सीमित है. छोटे-मोटे इलाज के लिए भी मरीजों को पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. जिससे मरीज और परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

हरिशंकर चौधरी, अस्पताल प्रभारी

बुनियादी सुविधाओं से वंचित अस्पताल
मरीजों का कहना है कि इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. यहां ठीक से कोई दवाई भी नहीं मिलती है. बाहर से दवा लेकर काम करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में गंदगी फैली रहती है. जिससे लोगों को अस्पताल में आने में भी डर लगा रहता है. वहीं, महिला मरीजों ने बताया कि रात में कोई लेडी डॉक्टर भी नहीं होती है. अगर कोई महिला प्रसव के लिए आए तो उसे भी दूसरे अस्पताल में जाना पड़ता है.

पेश है रिपोर्ट

प्रभारी ने किया अस्पताल की लापरवाही का बचाव
इस पूरे मामले में अस्पताल प्रभारी हरिशंकर चौधरी ने कहा कि अस्पताल में मरीजों के इलाज में कोई कमी नहीं रखी जाती है. मरीजों को हर संभव मदद की जाती है. उन्होंने डॉक्टरों के नहीं होने के सवाल में कहा कि कई डॉक्टर छुट्टी पर चल रहे हैं. जल्द ही उनकी छुट्टी खत्म हो जाएगी और वापस काम पर लौट आएंगे. मरीजों के पीएमसीएच रेफर करने की बात पर कहा कि अस्पताल की पूरी कोशिश रहती है कि मरीजों का इलाज ठीक तरीके से किया जाए. लेकिन, अगर क्रिटिकल केस आता है तभी दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाता है.

वर्षों से खाली हैं ये पद
इस अस्पताल में पोस्टमॉर्टम की सुविधा नहीं है. पोस्टमॉर्टम के लिए लोगों को 60 किमी दूर जाना पड़ता है. जिससे मरीजों के साथ-साथ परिजनों को परेशानी झेलनी पड़ती है. वहीं, यहां के अस्पताल प्रभारी की माने तो पोस्टमॉर्टम बनाने के लिए जगह मुहैया कराने के लिए विधायक ने आश्वासन दिया है. जल्द ही कमी पूरी की जाएगी. गौरतलब है कि इस सरकारी अस्पताल में आंख, ईएनटी, हड्डी, चर्मरोग, फिजीशियन जैसे पद वर्षों से खाली है.

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