मधेपुरा: जिले को राजनीति का प्रयोगशाला कहा जाता है. यहां जनता ने मधु लिमये, कृपलानी से लेकर लालू यादव, शरद यादव और बाहुबली सांसद पप्पू यादव को भी जांच परख कर दौर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अब नया प्रयोग यह सामने आ रहा है कि जबतक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर बिहार का मुख्यमंत्री कोई चाय बेचने वाला नहीं बनेगा, तब तक बिहार का विकास संभव नहीं है.
क्या कहते हैं चाय विक्रेता बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां जमीनी स्तर से तैयारी कर रही हैं. वहीं, मधेपुरा के चाय विक्रेता और आम नागरिक का मानना है कि जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह कोई चाय बेचने वाला बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बनेगा, तब तक बिहार का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है.
'चाय वाला बने सीएम'
मधेपुरा जिला मुख्यालय के शिवनंदन मार्केट स्थित एक पुराने चाय विक्रेता ने कहा कि इंजीनियर मुख्यमंत्री से बिहार का विकास संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह चाय बेचने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज देश को आजादी के बाद पहली बार महाशक्ति के रूप में विश्व के सामने लाकर खड़ा किया है और हर क्षेत्र में विकास का परचम लहरा रहा है. उसी तरह जब तक बिहार का मुख्यमंत्री कोई चाय बेचने वाले नहीं होगा, तब तक बिहार का विकास हो ही नहीं सकता है. चाय विक्रेता ने कहा कि राज्य के आम नागरिकों को एकजुट होकर इस बात को उठाने की जरूरत है. ताकि हर क्षेत्र में बिहार का विकास हो सके.
'विकास के लिए पलटी मारते हैं सीएम'
वहीं, बजरंग दल के एक कार्यकर्ता ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार का विकास कम, कुर्सी के लिए पलटी मारने में महारथ हासिल है. इसलिए अब जमीन से जुड़े गरीब, चाय, पान बेचने वाले को ही बिहार का मुखिया बनाया जाना चाहिए.