जमुईःकोरोनाकी आपदा से उपजे विषम परिस्थिति और जीवन यापन की जद्दोजहद ने लोगों की सोच की दिशा बदल दी है. कल तक मृत्यु भोज को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखने वालों की सोच कोरोना काल में बदल रही है. झाझा प्रखंड के बाराजोर गांव में ऐसी ही एक बानगी देखने को मिली.
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जहां मां के निधन पर श्राद्ध में भोज पर होने वाले खर्च से पुत्र ने गरीबों व जरुरतमंदों के बीच उपयोगी सामग्रियों का वितरण किया. 200 से अधिक जरुरतमंदों के बीच मास्क एवं मच्छरदानी का वितरण किया गया. अब समाज में हर ओर इस निर्णय की सराहना हो रही है. पुत्र को भी संतुष्टि के साथ गौरव का एहसास हो रहा है.
बाराजोर गांव में विगत दिनों रामदास पासवान की 65 वर्षीय पत्नी मुन्ना देवी का निधन हो गया था. कोरोना गाइडलाइन के अनुसार स्वजनों ने उनका दाह-संस्कार व श्राद्धकर्म किया, किंतु भोज का आयोजन रद्द कर दिया गया. पुत्र सूरज पासवान ने जरुरतमंदों के बीच उपयोगी सामग्री वितरण करने का निर्णय लिया.
सूरज पासवान ने बताया 'गांव के लोग हमेशा मलेरिया रोग के शिकार होते हैं. बचपन में कई लोगों की जान जाते देखा है. लोगों के असमय मरने पर मां को रोते हुए देख बुरा लगता था. इसके बाद बड़े होने पर हम भी जीवन की दौड़ में शामिल हो गए. सिर से मां के आंचल की छाया हटने के दुख ने मुझे पुरानी बातों की याद दिला दी. उसी क्षण मैंने मच्छरदानी वितरण का निर्णय लिया और कोरोना से बचाव के लिए मास्क का भी वितरण किया गया.'