पटना:बिहार सहित पूरे देश में कोरोना का संक्रमणलगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में आम इंसान के साथ-साथ जेलों में बंद कैदी भी खुद को इस महामारी के समय सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. जेलों में भी कोरोना का संक्रमण अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. ऐसे में जेल प्रशासन द्वारा कैदियों की सुरक्षा के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं.
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जेल प्रशासन के मुताबिक बिहार के कुछ जेलों में कैदी और कक्षपाल कोरोना संक्रमित पाए गए थे. जिसके बाद उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया था. फिलहाल उनकी स्थिति ठीक है. कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में दवा और ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है.
जेलों में इस वक्त क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं. इस वजह से कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग पालन करा पाना मुमकिन नहीं है. प्रदेश के 59 जेलों में कुल 43,000 कैदियों को रखने की क्षमता है. इस वक्त क्षमता से अधिक 55,000 कैदी बिहार के जेलों में बंद हैं.
कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की मांग
राजधानी पटना के राजीव नगर निवासी चिंटू कुमार के छोटे भाई रोहित कुमार इस वक्त पटना के बेऊर जेल में बंद हैं. चिंटू कुमार ने ईटीवी भारत से टेलीफोनिक बातचीत के दौरान बताया ‘कोरोना महामारी के दौरान जब लोग घर में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं तो जेल में इतने सारे लोगों के बीच कैसे सुरक्षित रहेंगे.'
उन्होंने बताया कि रोहित 1 साल पहले अपने मोहल्ले में ही पड़ोसी से मारपीट के मामले में जेल में बंद है. सरकार से आग्रह है कि इस महामारी के समय में छोटे-मोटे कांडों में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ दिया जाए.
वहीं, पटना के सुल्तानगंज निवासी शोभा देवी के पति पिछले 6 महीने से शराब पीने के मामले में पटना के फुलवारी जेल में बंद हैं. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से अपील करते हुए कहा ‘सरकार कोरोना महामारी को देखते हुए मेरे पति को पैरोल पर जेल से छोड़ दें. बिहार में शराब बंदी अच्छी पहल है लेकिन जो लोग पीने के आदि हैं वे धीरे-धारे ही छोड़ेंगे.’