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सिस्टम की मार...ऑटो में इलाज! तड़पता रहा घायल फिर भी डॉक्टरों ने नहीं ली सुध, गार्ड ने लगाया टांका

सुपौल के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल से बिहार की स्वास्थ्य की पोल खोलने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां सड़क हादसे में घायल को अस्पताल में जगह नहीं मिल पाई. बाद में डॉक्टरों ने इलाज ने नाम पर ऑटो में ही एक इंजेक्शन लगाकर बिना एंबुलेंस रेफर कर दिया.

गार्ड ने लगाया टांका
गार्ड ने लगाया टांका

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Published : May 20, 2021, 8:04 PM IST

सुपौल: बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को आइना दिखाती तस्वीर त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल की है, जहां मरीज का इलाज अस्पताल में न करके ऑटो में ही किया जा रहा है. अस्पताल की बदहाली इतनी है कि मरीजों के रेफर करने के बाद परिजन उसे बेहतर इलाज के लिए एंबुलेंस की जगह ऑटो में ले जाने को मजबूर हैं.

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घायल को ले जाया गया था अस्पताल
मामला त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के खट्टर चौक एनएच-327 का है, जहां ऑटो और मोटरसाइकिल के बीच भीषण टक्कर में तीन लोग जख्मी हो गये. जिसमें एक व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो गई. परिजन उसे गंभीर रूप से घायलावस्था में ऑटो से त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां एक घंटे तक गंभीर रूप से घायल व्यक्ति ऑटो में दर्द से कराहता रहा. अस्पताल पहुंचने के करीब आधे घंटे बाद डॉक्टर अपने चेंबर से बाहर निकले, और दर्द से कराहते घायल का अस्पताल लाकर इलाज करने के बजाय ऑटो में ही इलाज शुरू कर दिया. परिजनों के अनुसार इलाज के क्रम में डॉक्टरों ने घायल को महज दर्द का इंजेक्शन देकर रेफर कर दिया.

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सुरक्षाकर्मी ने किया स्टीच
अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों की इंतहा तो तब हो गई, जब स्वास्थ्यकर्मी की जगह अस्पताल में सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षाकर्मी मरीज का स्टीच किया. परिजनों ने बताया कि मरीज की स्थिति काफी गंभीर है, इसलिए ऑटो से ही ले जाना पड़ेगा.

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