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ऐतिहासिक दिन : सहरसा-दरभंगा के बीच ट्रेन सेवा आज से होगी शुरू, खंडित मिथिलांचल का होगा एकीकरण

शनिवार का दिन मिथिला के दोनों भागों के लिए बेहद खास होने वाला है. 87 साल से दो भागों में बंटी हुई मिथिला को भारतीय रेल एक बार फिर से जोड़ देगा. कोसी पर बने नए रेल पुल पर ट्रेन का परिचालन शुरू किया जाएगा. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 7, 2022, 6:00 AM IST

सुपौल : कोसी, कमलांचल व मिथिलांचल वासियों के लिये आज का दिन ऐतिहासिक है. रेल विभाग द्वारा सहरसा से दरभंगा के बीच ट्रेन सेवा प्रारंभ (train operations started darbhanga saharsa) की जा रही है. रेल मंत्रालय की इस पहल से ना सिर्फ 88 वर्षों बाद खंडित मिथिलांचल का एकीकरण हो जायेगा. बल्कि क्षेत्र के लोगों के लिये विकास के द्वार भी खुल जाएंगे. इस रेलखंड में ट्रेन सेवा प्रारंभ होने से दरभंगा व कोसी प्रमंडल के करीब 02.50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा.

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तकरीबन 1584 करोड़ की लागत से प्रारंभ हो रहे इस रेलखंड से इलाके के लोगों का सामाजिक व सांस्कृतिक मिलन भी फिर से होगा. नैहर और ससुराल की दूरियां घट जायेगी. जिससे आपसी रिश्ते भी मजबूत होंगे और क्षेत्र के लोगों के आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा. गौरतलब है कि पूर्व में सुपौल से दरभंगा जाने के लिये करीब 275 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. नयी रेलखंड के निर्माण से यह दूरी तकरीबन आधी हो जायेगी. जिससे समय के साथ ही लोगों के पैसे भी बचेंगे.


रेल मंत्री करेंगे उ‍द‍्घाटन :रेल विभाग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार नव निर्मित आसनपुर कुपहा-निर्मली (06 किलोमीटर) एवं निर्मली-झंझारपुर (32 किलोमीटर) नयी रेल लाइन का उद‍्घाटन दोपहर 02 बजे भारत सरकार के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से डेमू पैसेंजर स्पेशल गाड़ी संख्या 05553 झंझारपुर-सहरसा को हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे. इस अवसर पर मुख्य समारोह झंझारपुर स्टेशन पर आयोजित किया जायेगा. जिसमें सूबे के कई मंत्री, विधायक, सांसद व अन्य जनप्रतिनिधि शामिल होंगे.

2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था शिलान्यास :गौरतलब है कि इस रेलखंड की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 06 जून 2003 को निर्मली में आयोजित एक समारोह के दौरान रखी गयी थी. जिसके तहत 491 करोड़ की लागत से कोसी नदी पर महासेतु का निर्माण किया गया. 18 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पुल और सरायगढ़-आसनपुर कुपहा नयी रेलखंड का लोकार्पण किया था. तब से सहरसा से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन सेवा प्रारंभ हो गयी है. लेकिन आसनपुर कुपहा से निर्मली और निर्मली से झंझारपुर के बीच अमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था. जिसके कारण यह परियोजना लंबित थी. 456 करोड़ की लागत से आसनपुर कुपहा से झंझारपुर तक अमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण कर लिया गया.


तत्काल तीन जोड़ी ट्रेनों का होगा परिचालन :जानकारी अनुसार रेल मंत्रालय द्वारा लहेरिया-सहरसा के बीच झंझारपुर-निर्मली-आसनपुर कुपहा-सरायगढ़-सुपौल के रास्ते तत्काल तीन जोड़ी डेमू स्पेशल ट्रेनों का परिचालन 08 मई से नियमित रूप से किया जायेगा. पहली डेमू स्पेशल लहेरिया सराय से सुबह 05:05 बजे खुलेगी. जो 10:50 बजे सहरसा पहुंचेगी. दूसरी डेमू स्पेशल लहेरिया सराय से दिन में 12:05 बजे खुल कर 18:05 बजे सहरसा पहुंचेगी. जबकि तीसरी ट्रेन लहेरिया सराय से रात 08:05 बजे खुलेगी. जो मध्य रात्रि में 01:30 बजे सहरसा पहुंचेगी. वहीं सहरसा से इन तीनों ट्रेनों का परिचालन सुबह 05:15 बजे, पूर्वाह्न 11:10 बजे तथा अपराह्न 06:35 बजे किया जायेगा. 05 घंटा 45 मिनट में यह ट्रेन लहेरिया सराय से सहरसा की दूरी तय करेगी.

1934 में ध्वस्त हुआ था यह रेलखंड :मालूम हो कि करीब 88 वर्ष पूर्व वर्ष 1934 तक सरायगढ़-निर्मली-झंझारपुर के बीच छोटी लाइन की ट्रेन सेवा उपलब्ध थी. जिसका शुभारंभ वर्ष 1887 में हुआ था. लेकिन 1934 में आए भीषण भूकंप एवं कोसी बाढ़ के कारण यह रेलखंड पूरी तरह ध्वस्त हो गया. जिसके कारण मिथिला का यह महत्वपूर्ण हिस्सा दो भागों में विभक्त हो गया. लंबे अरसे बाद फिर मिथिलांचल के एकीकरण की खबर से लोगों में अपार खुशी व उल्लास का माहौल व्याप्त है.

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