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प्रशासनिक अनदेखी से अब तक नहीं बन सका यह पुल, प्रभावित हो रहा है कारोबार

केंद्र सरकार ने वादा किया था कि जल्द ही सहरसा से फारबिसगंज तक आमान परिवर्तन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन घोषणा के इतने वर्षों बाद भी आमान परिवर्तन सहरसा से महज कुछ सब स्टेशन तक ही हो पाया है.

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Published : Mar 3, 2019, 9:51 PM IST

जर्जर पड़े रेलवे स्टेशन भवन

सुपौल: 2003 में दिवगंत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा घोषित रेल महासेतु का निर्माण भी नहीं हो सका है. इस अनदेखी की वजह से सुपौल जिले के आम लोग जहां यात्रा को लेकर परेशान हैं वहीं व्यवसाय भी पूरी तरह से प्रभावित है.

खोखले दावे

जर्जर हालत में पड़ा भवन

केंद्र सरकार ने वादा किया था कि जल्द ही सहरसा से फारबिसगंज तक आमान परिवर्तन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन घोषणा के इतने वर्षों बाद भी आमान परिवर्तन सहरसा से महज कुछ सब स्टेशन तक ही हो पाया है. लेकिन उस पर भी अभी तक रेल नहीं दौड़ सकती है.

अधूरी है योजन

वहींनिर्मली से सकरी रेलखंड समेत मिथिलांचल की दो भागों में विभक्त रेल लाईन को जोड़ने की आधार शिला दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने वर्ष 2003 में किया उस वक्त कोसी नदी पर रेल महासेतु का निर्माण की अवधि 2009 तक पूरा करने की तिथि निर्धारित किया गया.

कारोबार पर असर

बावजूद रेल विभाग की अनदेखी की वजह से आज तक निर्माण कार्य किया जा रहा है कछुए की गति से कार्य को लेकर स्थानीय लोगों मे काफी आक्रोश है, वहीं रेल मार्ग अवरुद्ध रहने से इलाके के व्यवसायी पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. इलाके के सांसद रंजीत रंजन से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने पहले तो केंद्र सरकार पर अनदेखी और लापरवाही का आरोप लगाया. लेकिन बादमें उन्होंने जल्द ही रेल लाइन चालू होने की दलील दे दी.

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