सुपौल: सुपौल का इतिहास गौरवशाली रहा है.धार्मिक धरोहरोंके मामले में सुपौल जिले की अपनी एक अलग पहचान है. पर्यटन के बलबूते देश के कई इलाकों की सूरत और सीरत ही नहीं बदली है. बल्कि उस इलाके का विकास हुआ है. नेपाल की सीमा से सटे सुपौल जिले में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. ये बातें एक बार फिर से बिहार के पिछड़ेपन पर आयोजित परिचर्चा में भाग लेते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कही.
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सुपौल में पिछड़ेपन पर परिचर्चा :उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों के मामले में सुपौल जिले का इतिहास काफी समृद्ध रहा है. बावजूद इच्छाशक्ति के अभाव में यह इलाका अब तक पर्यटन के नक्शे से गायब है. सुपौल जिस राज्य का जिला है वह पिछड़ा है. उन्होंने पिपरा रोड स्थित पुष्पांजलि विला परिसर में सोमार को पूर्व केंद्रीय मंत्री रूडी ने बिहार के विकास के मार्ग में अवरोधक बने मुद्दों और राजनीतिज्ञों पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि आज तो पूरा बिहार ही पिछड़ा है. प्रारंभ से शीर्ष तक बिहारी नजर आते है, कहीं कम पढ़े लिखे श्रमिक है तो उसी जगह इंजीनियर भी बिहारी है.
कामगार बिहारी है तो उस टीम का लीडर भी बिहारी है: उन्होंने कहा कि किसी टीम का छोटा कामगार बिहारी है तो उस टीम का लीडर भी बिहारी है. कहीं किसी कार्यालय में आदेशपाल यदि बिहारी है तो उसी दफ्तर का प्रशासनिक अधिकारी भी बिहार का ही निवासी है. कहने का मतलब है कि ऊपर से नीचे तक हर हुनर में बिहारी ही नजर आता है. फिर भी बिहार पिछड़ा है. मौके पर अमनौर से भाजपा विधायक मंटू सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र ऋषिदेव, नागेंद्र नारायण ठाकुर, डॉ विजय शंकर चौधरी, राम कुमार राय, राघवेंद्र झा राघव, सुमन चंद, विनोद सम्राट, राकेश सिंह लोग उपस्थित थे.