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क्राइम ग्राफ पर बोले लोग- अपराध रोकना छोड़, शराबबंदी और ट्रैफिक फाइन वसूलने में लगी है पुलिस

क्या नीतीश कुमार की सरकार व प्रशासन पर पकड़ ढ़िली हो गई है? क्या नीतीश कुमार अब 'सुशासन बाबू' की छवि खोते जा रहे हैं? आप सोच रहे होंगे कि ये सवाल क्यों? क्योंकी, 'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में अपराध का ग्राफ नीचे उतर ही नहीं रहा है. आज हम बात कर रहे हैं सुपौल की. यहां पिछले कुछ दिनों से अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. जिसके चलते लोगों में खौफ है. चलिए जानते हैं कि लोग क्या कहते हैं...

क्या बोली सुपौल की जनता, पेश है खास रिपोर्ट

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Published : Oct 15, 2019, 8:04 AM IST

सुपौल: बिहार में नीतीश कुमार सुशासन बाबू कहे जाते हैं. सुशासन का मतलब अच्छा शासन. लेकिन, बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. प्रदेश में बढ़ते अपहरण, लूटपाट, हत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी भारत की टीम आम लोगों से बात कर रही है. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोलती है.

सुपौल में अपराध अपनी चरम सीमा पर है. दुष्कर्म, हत्या, रंगदारी, लूट और किडनैपिंग की घटनाओं में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. वारदात के आंकड़ों पर गौर करे तो पिछले 15 दिनों में जिले में सामूहिक दुष्कर्म की चार वारदातें हुई हैं. यहां 06 अक्टूबर और 08 अक्टूबर 2019 को दशहरा मेला देख कर वापस आ रही युवतियों के साथ हुई दुष्कर्म की शर्मनाक वारदात घटी. इन दो वारदातों में 8 अक्टूबर की वारदात की बात करें, तो अपराधियों ने छोटी बहन की अस्मत बचाने गई बड़ी बहन को गोली मार दी. वहीं, 24 सितंबर को 06 युवकों ने 16 वर्षीय युवती को अपना शिकार बनाया.

क्या बोली सुपौल की जनता, पेश है खास रिपोर्ट

इन सभी मामलों के बाद लोग आक्रोशित हैं. डरे हुए हैं. बेखौफ होते अपराधियों पर शिकंजा कसने की बात कर रहे हैं. कई जगह धरना प्रदर्शन और आंदोलन भी हुए हैं. इस बाबत ईटीवी भारत की टीम ने सुपौल के लोगों से बात की, तो गुस्सा भी छलका और लचर कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की.

एथलीट दीपिका झा

'सुपौल शांत जिला था, लेकिन...'
बढ़ते अपराध को पर एथलीट दीपिका झा ने कहा कि पहले जिले में शांति थी. लेकिन हाल के दिनों में जिले में हर माह 02 से 04 दुष्कर्म की वारदातें घटित हो रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को सख्त से सख्त कानून बनाने चाहिए. दुष्कर्म की वारदातों पर एथलीट का मानना है कि दोषियों को तत्काल फांसी दे दी जानी चाहिए.

प्रोफेसर निखिलेश कुमार सिंह

'बेखौफ हैं अपराधी'
शिक्षाविद प्रोफेसर निखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि हाल में हुई नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले ने समाज और मानवता को शर्मसार किया है. वारदातों में इजाफा हुआ है. इसके पीछे की वजह सत्ता-सरकार का अपराधियों पर खौफ न होना ही है.

बबलू कुमार

गुटखा-पान मसाले पर सख्ती, इस पर क्यों नहीं-युवा
वहीं, स्थानीय युवा बबलू कुमार ने सरकार पर सुस्ती बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार शराबबंदी, गुटखा बंदी के साथ-साथ ट्रैफिक पर कठोर नियम बनाती है. टैक्स वसूलने में लगी है. लेकिन गंभीर मुद्दों पर कुछ नहीं कर रही है.

सुरेन्द्र नारायण पाठक, मानवाधिकार इकाई सदस्य

'अपराध के मामले में तीसरे नंबर पर सुपौल'
मानवाधिकार संरक्षण इकाई बिहार के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सुरेन्द्र नारायण पाठक ने कहा कि दुष्कर्म के मामले में सुपौल बिहार के तीसरे स्थान पर है. उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा सरकारी है. उन्होंने स्पीडी ट्रायल कर सार्वजनिक स्थान पर दुष्कर्मी की फांसी देने की मांग की.

सुधीर कुमार झा, अधिवक्ता

'प्रशासन नहीं जानता, पॉक्सो के नए नियम'
वरीय अधिवक्ता सह जिला विधिज्ञ संघ के सचिव सुधीर कुमार झा ने कहा कि दुष्कर्म की घटना पुलिस प्रशासन की सुस्ती की देन है. अभियुक्त के खिलाफ पॉक्सो के नए नियम के तहत कैसे कार्रवाई करनी है, ये प्रशासन को नहीं पता है. वहीं, उन्होंने बताया कि कई बार कंप्रोमाइज हो जाता है, जिससे अपराधियों में खौफ खत्म हो जाता है. ऐसा नहीं होना चाहिए. इससे समाज में गलत संदेश जाता है.

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह

'पुलिस लूट रही वाहवाही'
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने कहा कि सुशासन की सरकार में भ्रष्टाचार और अपराध चरम सीमा पर है. अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ गया है. दुष्कर्म के किसी भी मामले में पुलिस ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन सिर्फ कागजी खानापूर्ति करने में लगी हुई है. पुलिस अपनी वाहवाही कर रही है.

बिहार का क्राइम रिपोर्ट कार्ड

बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?

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