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सुपौल: कोरोना संक्रमित की जांच करने गयी मेडिकल टीम के साथ गाली-गलौज और मारपीट

बसंतपुर प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत हृदयनगर पंचायत में कोविड संक्रमित मरीज की जांच करने के लिए पहुंची मेडिकल टीम पर मरीज के परिजनों ने पथराव कर दिया. बसंतपुर पीएचसी की मेडिकल टीम हृदयनगर वार्ड नंबर दो में होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की जांच करने के लिए पहुंची थी. इसी दौरान मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया.

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मेडिकल टीम के साथ गाली गलौज और मारपीट

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Published : May 21, 2021, 10:52 PM IST

सुपौल:बसंतपुर प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत हृदयनगर पंचायत के वार्ड नम्बर 2 में कोरोना महामारी काल में अपने जान पर खेलकर संक्रमितों की स्वास्थ्य जांच करने गयी मेडिकल टीम के साथ गाली-गलौज और मारपीट की घटना सामने आयी है. मेडिकल टीम होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की जांच करने के लिए पहुंची थी. इसी दौरान यह हंगामा किया गया.

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आरडीओ ने बचायी जान
घटना की सूचना पर मौके पर वीरपुर थाना पुलिस के साथ पहुंचे बसंतपुर आरडीओ देवानन्द कुमार सिंह ने मेडिकल टीम के कर्मियों को बचाया. मेडिकल टीम में शामिल एएनएम बबीता देवी, आरती कुमारी, अनुराधा कुमारी आदि ने बताया कि वे लोग अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा करने में जुटे हैं.

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मेडिकल टीम के साथ हाथापाई और वाहन पर पथराव
इसी क्रम में जब हृदयनगर पंचायत के वार्ड नंबर 2 में कोरोना संक्रमित मरीज की नियमित जांच के लिए पहुंचे तो मरीज के परिजन मास्क, सेनेटाइजर, दवा आदि की मांग करने लगे. उन लोगों का कहना था कि मेडिकल टीम मरीजों को कुछ नहीं देते हैं. सब मेडिकल टीम के लेग खा जाते हैं. जबकि एक मरीज के लिए सरकार की तरफ से एक से डेढ़ लाख रुपये तक खर्च मिलता है. मास्क, सेनेटाइजर और अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर बहसबाजी कर रहे लोगों ने देखते ही देखते मेडीकल टीम में शामिल लोगों के साथ गाली गलौज, हाथापाई और मेडिकल वाहन पर पथराव करना शरू कर दिया.

मेडिकल टीम ने कीसुरक्षा की मांग
मेडिकल टीम में शामिल कर्मियों ने बसंतपुर चिकित्सा प्रभारी डॉ अर्जुन चौधरी एवं बसन्तपुर आरडीओ देवानन्द कुमार सिंह से दोषियों पर कार्रवाई करने और उनलोगों को पूर्ण सुरक्षा देने की मांग की है. उनका कहना था कि इस भय के माहौल में हमारे लिए काम कर पाना सम्भव नहीं है. हम काम पर तभी लौटेंगे जब हमको प्रशासन की तरफ से सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. उनका साफ कहना था कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं की जाएगी, तब तक हमलोग काम पर नहीं लौटेंगे.

आरोप को बताया निराधार
वहीं, दूसरे पक्ष कोरोना संक्रमित मरीज समोल गुप्ता एवं उनके भाई सन्तोष गुप्ता का कहना था कि वे 12 मई से ही संक्रमित हैं. मेडिकल टीम जिस समय पहुंची उस समय बारिश हो रही थी. मेडिकल टीम में शामिल लोग हमलोगों को सड़क पर ही बुला रहे थे. जबकि हमलोग उनको घर आने को बोल रहे थे. टीम के सदस्यों के साथ मारपीट एवं पत्थरबाजी की बात बिल्कुल ही गलत और निराधार है.

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