सुपौल: परिसीमन के बाद 2008 में सुपौल लोकसभा सीट अलग से अस्तित्व में आई. 2009 के चुनाव में यहां से जेडीयू के विश्व मोहन कुमार सांसद बने. तब रंजीत रंजन डेढ लाख वोटों से हार गई थीं. लेकिन 2014 का चुनाव रंजीत रंजन ने कांग्रेस के टिकट पर सुपौल सीट से लड़ा. मोदी लहर के बावजूद रंजीत रंजन ने 60,000 वोटों से जेडीयू के उम्मीदवार दिलेश्वर कामत को हरा दिया और लोकसभा पहुंचीं.
2014 चुनाव का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की रंजीत रंजन को 3,32,927 वोट हासिल हुए. नंबर दो पर रहे जेडीयू के दिलेश्वर कामत, जिन्हें 2,73,255 वोट मिले. जबकि तीसरे स्थान पर बीजेपी के कामेश्वर चौपाल रहे, उन्हें 2,49,693 वोट मिले.
इस सीट का समीकरण
सुपौल उत्तर में नेपाल, दक्षिण में मधेपुरा, पश्चिम में मधुबनी और पूर्व में अररिया जिले से घिरा हुआ है. यह इलाका कोसी नदी के पानी से हर साल आने वाले बाढ़ से प्रभावित होता रहता है. इस इलाके में बाढ़ और रोजगार के लिए पलायन सबसे बड़ी समस्या है. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की संख्या 12,79,549 है. जिसमें से 6,72,904 पुरुष वोटर और 6,06,645 महिला वोटर हैं.
विधानसभा सीटों का समीकरण
सुपौल लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 5 सीटें आती हैं, जिनमें निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज और छत्तापुर शामिल हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 5 सीटों में 3 जेडीयू, एक आरजेडी और एक सीट जीतने में बीजेपी कामयाब रही.