जमुई: जहां एक ओर गर्मियों में पानी का जलस्तर 130 से 150 फीट गहराई तक पहुंच चुका है. वहीं, जमुई के एक गांव में आज भी महज 20 से 30 फीट पर पानी आसानी से मिल रहा है. यह पानी ना सिर्फ पीने के लिए बल्कि खेतों के पटवन के प्रयोग में भी लाया जा रहा है. आईये जानते हैं उस वजह के बारे में, जिससे इस गांव में पानी इतने कम स्तर में मिल रहा है.
जिले के वरहट प्रखंड स्थित केड़िया गांव में जलस्तर बहुत अच्छा है. यहां महज 20 से 30 फीट पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है. ईटीवी भारत ने इस गांव में जाकर इसके पीछे का रहस्य जाना, तो पता चला यहां के किसानों की सूझबूझ और अथक प्रयास से ये संभव हो रहा है. किसानों का कहना है कि आसानी से मिलने वाले पानी से हम सब्जियां और फसलें पैदा कर रहे हैं.
क्या है रहस्य...
- जैविक खेती कर फसल और सब्जी उपजा रहे हैं गांव के किसान ( रासायनिक खेती का बहिष्कार कर दिया है ).
- गांव में बोरिंग का बहिष्कार कर दिया गया है. अनाप शनाप बोरिंग के कारण ही पानी बर्बाद हो रहा है. इससे जल स्तर नीचे जा रहा है.
- जैविक खेती से जल संरक्षण का नाता है. इससे खेतों की मिट्टी में नमी बनी रहती है.
- छोटे-छोटे तालाब बनाकर वर्षा का पानी जमा किया जा सकता है. नहर में जगह-जगह चैक डैम बनाकर भी पानी रोके रखा जा सकता है. बर्बाद होने से बचाया जा सकता है.
- केड़िया के किसान संगठित है, जिस कारण सरकार से कुछ सहयोग मिल पा रहा है.
- केड़िया के किसानों का कहना है कि जल संरक्षण और जैविक खेती की जानकारी हम लोग आसपास के गांवों के किसानों से सांझा करते है. लेकिन सरकार अगर प्रयास करे, तो बड़े पैमाने पर अन्य गांवों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा.
जरूरी है ये पहल
आस-पास के गांव में सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं पहुंच रहा है. सरकार की हर घर, नल जल योजना कहां तक सक्सेस है या हो पाएगी. ये अभी देखना बाकी है. लेकिन जमुई के केड़िया गांव के किसानों की पहल अगर सभी गांवों में सुचारू रूप से लागू हो जाए, तो वो दिन दूर नहीं कि लोगों को आसानी से पानी मिल जाएगा.