सिवान: पिछले कई सालों से एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार गंभीरता से कोशिश हो रही है. इसके बावजूद एड्स ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है. वहीं, बिहार के सिवान में एड्स मरीजों की संख्या में इजाफा (Number of AIDS patients Increase in Siwan) ने चिंता बढ़ा दी है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे(Health Minister Mangal Pandey) के गृह जिले से एचआईवी (HIV) के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक जिले में एचआईवी के 314 केस दर्ज किए गए हैं. जबकि इलाज के दौरान 40 मरीजों की मौत हो चुकी है. इसके अलावे एक ट्रांसजेंडर भी इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा चुका है.
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डरा रहा है एचआईवी का आंकड़ा: सिवान जिले में एड्स/एचआईवी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. यहां कुल एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2324 है. उसमें सिर्फ एक साल में 314 नए केसे दर्ज किए गए हैं. इनमें से 195 पुरूष, 106 महिला और 13 बच्चे शामिल हैं. इस एक वर्ष के दौरान लगभग 6400 डिलीवरी की पहले जांच हुई. जिसमें 15 प्रेग्नेंट महिलाओ की संख्या दर्ज की गई हैं. जिसमें 2021-22 की अगर बात करें तो लगभग इलाज के दौरान 40 मरीजों की जान जा चुकी है.
सीडी 4 जांचने की मशीनें उपलब्ध नहीं: सिवान में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार वृद्धि के बावजूद एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की जांच में अहम भूमिका निभाने वाली सीडी-4 जांचने की मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. जिस वजह से सीडी-4 की जांच के लिए एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का रक्त गोपालगंज भेजा जाता है. जिससे समय की बर्बादी तो होती ही है. साथ ही देरी के कारण मरीजों की तबीयत और अधिक बिगड़ने लगी है.
सीडी 4 सेल काउंट क्यों जरूरी: वायरल लोड के साथ-साथ सीडी4 यानी क्लस्टर ऑफ डिफरेंशियल 4 सेल काउंट करना जरूरी है, जो मरीज की इम्युनिटी को मापता है. अगर सीडी4 की संख्या 500 से कम है, तो रोगियों में संक्रमण विकसित होने की संभावना होती है. सीडी4 जितना ज्यादा होगा, रोगी उतना ही स्वस्थ होगा लेकिन सीडी4 की संख्या जो भी हो, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि मरीज के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि होते ही इलाज शुरू कर देना चाहिए. एआरटी सेंटरसिवान में 2324 मरीजों को दवा दी जाती है. वहीं नए मरीजों को बिना सिडिफोर जांच के ही दवा शुरू कर दी जाती है.
जानिए क्या है एआरटी: दरअसल, एड्स की ऐसी दवाइयां अब उपलब्ध हैं, जिन्हें एआरटी यानी एंटी रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट एंजाइम वायरल थैरेपी और एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (Anti Retro Viral Therapy) दवाइयों के नाम से जाना जाता है. सिपला की ट्रायोम्यून जैसी यह दवाइयां महंगी हैं, प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 15 हजार रुपए होता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी डब्ल्यूबीसी की संख्या में नियंत्रित कर एड्स पीड़ित को स्वस्थ बनाए रखती है. यह हर जगह आसानी से नहीं मिलती है.
बिना डॉक्टरी सलाह के मरीजों का दवा: सिवान सदर अस्पताल में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा स्थापित एआरटी सेंटर केंद्र का हाल भी चिंताजनक है. जहां मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं पिछले 6 महीने से यहां चिकित्सा पदाधिकारी का पद खाली पड़ा हुआ है. जिस वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि बिना डॉक्टर की सलाह के ही वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मी मरीजों को दवा दे रहे हैं. अधिक परेशानी होने पर छपरा या गोपालगंज एआरटी सेंटर से डाक्टर से बातकर दवा उपलब्ध कराते हैं.
एचआईवी सेंटर प्रभारी की सफाई: वहीं नए मरीजों को बिना डॉक्टरी सलाह के ही दवाई शुरू कर दी जाती है. इतनी गंभीर बीमारी में ऐसी बड़ी लापरवाही मरीजों की जान भी ले सकती है. हालांकि सीडीओ सह डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल ऑफिसर डॉ. अनिल सिंह कहते हैं कि यह एक जानलेवा बीमारी जरूर है लेकिन यह भी सच है कि कई मरीज दवा से ठीक भी हुए हैं. वे कहते हैं कि इसका बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है. वे कहते हैं कि जिस्मानी संबंध बनाने के समय कंडोम और इंजेक्शन लेते समय निडिल चेंज करवाना बहुत ही जरूरी बात है, जिसपर ध्यान देना चाहिए.
"अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक कुल 314 मरीज हैं. जिसमें मेल 195, फीमेल 106, बच्चे मेल में 7 और फीमेल में 6 हैं. गर्भवती महिलाओं की संख्या 15 है. सिवान में सीडी 4 जांच फिलहाल नहीं हो पा रही है. अभी मरीजों का ब्लड सैंपल लेकर गोपालगंज भेजते हैं. बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि सुरक्षित यौन संबंध बनाना चाहिए. मेन है कि हम अपना बचाव कर सकते हैं. एड्स घातक तो है लेकिन जो दवाई हमलोग दे रहे हैं, उससे लोग ठीक भी हो रहे हैं"-डॉ. अनिल कुमार सिंह, सीडीओ सह डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल ऑफिसर, सिवान