सीवान : बिहार के सीवान जिले के दारौंदा में सरकारी संपत्ति को सरकार के लोग ही लूटा रहे हैं. लेकिन किसी को इसकी चिंता नहीं है. पटना हाईकोर्ट के आदेश को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. साथ ही सही तथ्य को छुपाया भी जा रहा है. यह पूरा मामला दारौंदा बाजार के जमीन से जुड़ा है.
सरकार को 12 लाख रुपए के राजस्व की क्षति
दरअसल, दारौंदा में बाजार की जमीन करीब सतरह कट्ठा है. जबकि राजस्व करीब पांच कट्ठा का ही मिलता है, जो इस साल 3 लाख 30 हजार है. अगर पूरे जमीन का राजस्व सरकार को मिलता तो यह और 9 लाख रुपए होता. यानी कुल 12 लाख रुपए सरकार के खाते में जाता मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है. दारौंदा बाजार के बाकी जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमण करने वाले लोगों को लाखों रुपए हर महीने किराए में मिल रहे हैं.
सीओ को होता है फायदा
यह बाजार यहां 2007 से पदस्थापित है जो यहां के हर सीओ को अंडा देने वाली सोने की मुर्गी के समान है. दारौंदा बाजार के इस खेल का खुलासा 2007 में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक वीरेंद्र ठाकुर ने किया था. इस खुलासे के बाद से अतिक्रमणकारी और अफसर दोनों के लिए ये दुश्मन बन गए. इन्होंने जब अपनी सुरक्षा की गुहार सरकार से लगाई तो तत्कालीन राजस्व मंत्री मदनमोहन झा ने राजस्व सचिव को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया, जो जिलाधिकारी तक पहुंचने के बाद कूड़ेदान में फेक दिया गया.