सिवान:जिले में बंद पांच मिलों की वजह से यहां के लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है. दशकों से बंद पड़ी इन मिलों में हजारों लोग काम किया करते थे. जिसके बंद हो जाने से यहां के मजदूर, कर्मचारी और ईंख की खेती करने वाले किसान भी बेरोजगार हो चुके हैं. वहीं, हर पांचवें वर्ष में नई सरकार बनती है और इन मिलों को चालू कराने के वादे भी करती है. चुनाव में यह मुद्दा काफी हावी होता है. लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा ठंडा पड़ जाता है.
सिवान: एक के बाद एक 5 मिल बंद होने से भुखमरी की कगार पर कर्मी, सरकार से लगाई आस - mill closed in siwan
मिल में काम करने वाले कर्मचारी आज भी इस उम्मीद में नजरें टिकाए बैठे हैं कि सरकार कभी न कभी तो इन बंद मिलों को वापस शुरू करेगी. जिसके बाद हम लोगों को रोजगार मिल पाएगा.
खंडहर में तब्दील हो चुके हैं कई मिल
सिवान में एक चीनी मिल नीलाम हो गया है. वहीं, दूसरा ध्वस्त हो गया और अन्य खंडहर में तब्दील हो गए हैं. चीनी मिल बंद होने के कारण इसका सबसे ज्यादा प्रभाव यहां काम करने वाले कर्मियों और गन्ना किसानों पर पड़ा है. मिल में काम करने वाले कर्मचारी आज भी इस उम्मीद में नजरें टिकाए बैठे हैं कि सरकार कभी न कभी तो इन बंद मिलों को वापस शुरू करेगी. जिसके बाद उन्हें रोजगार मिल पाएगा. बेरोजगारी की दंश झेल रहा बिहार के सिवान में अगर यह मिल चालू करा दी जाती है, तो बेरोजगारों के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाएंगे.
भुखमरी की स्थिति हुई उत्पन्न
मिल में काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि मिल के बंद होने से हमारे घर में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हम आज भी मिल की देखभाल करते हैं और इस इंतजार में बैठे हैं कि कोई नई सरकार आएगी. जो इस मिल को फिर से शुरू करवाएगी. उनका कहना है कि अगर मिल चालू नहीं करवा सकती. तो कम से कम सरकार मिल में लाखों रुपए की बेकार पड़ी इन सामानों को बेचकर हमारा बकाया भुगतान तो कर ही सकती है. लेकिन सरकार कुंभकर्ण की नींद सोई हुई है. जरूरत है सरकार को जागरूक होने की और योजनाबद्ध तरीके से पहल करने की, ताकि सिवान के बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सके.