सीतामढ़ी: लॉकडाउन को लेकर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. इसका असर केवल आमोखास पर नहीं बल्कि किसानों पर भी देखने को मिल रहा है. सीतामढ़ी में गेहूं की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से किसानों को गेहूं के खेत में ही खराब होने का डर सता रहा है और वे खुद से कटाई कर रहे हैं. इस मामले पर किसानों का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से घोषणा तो हुई. लेकिन मदद के लिए किसी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया.
कोरोना के भय से घर से बाहर नहीं निकल रहे मजदूर, किसानों को सता रही फसल की चिंता - किसानों को लॉकडाउन से छूट
कोरोना के बाद लागू हुए लॉकडाउन का प्रभाव किसानों पर भी हुआ है. किसानों को खेतों में लगी फसलों की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. अधिकतर मजदूर वायरस संक्रमण के भय से अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. जिस वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है.
'जिले के 90% खेतों में लगा है गेहूं'
तमाम जगहों पर गेंहू की फसल पक कर तैयार है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण किसानों के लिए एक अलग समस्या उत्पन्न हो गई है. किसानों का कहना है कि लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के भय से मजदूर घरों से बाहर नहीं निकलना चाहते. जिस वजह से फसल पकने के बावजूद कटाई नहीं हो पा रही है. किसान शिवरतन दास बताते हैं कि कुछ जगहों पर गेंहू की कटाई शुरू हो गई है, लेकिन मजदूर वायरस के संक्रमण के कारण कटाई के लिए नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं, अगर कुछ मजदूर मिल भी रहे हैं, तो वो काफी अधिक मजदूरी मांग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मजदूर नहीं मिलने के बाद वे खुद से अपनी पत्नी के साथ गेहूं की कटाई में लगे हैं.
किसानों को लॉकडाउन से मिली छूट
किसानों की परेशानियों को समझते हुए राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह ही किसानों को लॉकडाउन से छूट दी थी. इसके लिए कुछ विशेष एडवाइजरी भी जारी की गई थी. सरकार के अदेशानुसार किसान कुछ सावधानियों का पालन कर कृषि कार्य कर सकते हैं. बावजूद आमजन में कोरोना संक्रमण का भय कुछ इस कदर बढ़ गया है कि लोग अपने घरों में ही रहना चाहते हैं. किसान मजदूर वायरस संक्रमण के कारण खेतों का रुख करने से कतरा रहे हैं. ऐसे में खेती करने वाले किसानों को खेतों में लगी फसलों की चिंता सता रही है.