सीतामढ़ी: जिले में मोहर्रम का त्यौहार मनाया जा रहा है. इसे लेकर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के मुकम्मल इंतेजाम किए गए हैं. हर चौक-चौराहे और आयोजन स्थल पर महिला और पुरुष बल की तैनाती की गई है. वहीं विधि व्यवस्था पर नजर बनाए रखने के लिए दंडाधिकारी की भी प्रतिनियुक्ति की गई है.
सीतामढ़ी: मुहर्रम को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, चौक-चौराहों पर पुलिस बल तैनात - tradition to keep fasting and donating
मोहर्रम को लेकर जिले में सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किये गये हैं. विधि व्यवस्था को भंग करने वाले और अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है.
विधि व्यवस्था को भंग करने वाले और अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. इस त्यौहार को लेकर कंट्रोल रूम भी बनाया गया है जहां से पल-पल की जानकारी मिल रही है. जहां भी मोहर्रम मनाया जा रहा है वहां वीडियोग्राफी कराई जा रही है. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्पेशल पुलिस ऑफिसर की भी सहायता ली जा रही है.
रोजा रखने और दान करने की है परंपरा
मोहम्मद नाजिम ने बताया कि मोहर्रम की नवमी और दशमी को रोजा रखने और दान करने की परंपरा है. यह शहादत का पर्व है. यह पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1400 साल पहले आज ही के दिन मुसलमानों के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और हुसैन को कर्बला के मैदान में हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते यजीद ने कत्ल कर दिया था. उस परिवार के केवल मोहम्मद जैनुल आब्दीन ही बचे थे जो बीमार चल रहे थे. इस कारण उनकी जान बच गई थी. इस अवसर पर जो ताजिया निकालने की परंपरा है, वह देश में उस समय से लागू है जब तैमूर लंग ने देश पर शासन करना शुरू किया था.