सीतामढ़ी: सदर डीएसपी डॉ. कुमार वीर धीरेंद्र ने एक अनूठी पहल की है. साल 2018 के नवंबर से ये शहर के गोयनका कॉलेज में 150 छात्र- छात्राओं को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं. सभी छात्र संघ लोक सेवा आयोग और बिहार लोक सेवा आयोग की प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने वाले हैं.
सीतामढ़ी सदर डीएसपी डॉ. कुमार वीर धीरेंद्र ने सुदूर देहात के गरीब छात्र-छात्राओं को अधिकारी बनाने का जिम्मा ले लिया है. आज कई माह से अपनी ड्यूटी का निर्वाहन करते हुए डीएसपी वैसे छात्र-छात्राओं को शिक्षा दे रहे हैं जो आज के परिवेश में इस महंगी शिक्षा को पैसे के बदौलत हासिल नहीं कर सकते. डीएसपी के इस पहल से छात्र-छात्राओं को काफी मदद मिल रही है.
परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र छात्रों को मिल रहा सहयोग
इस मुफ्त पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने आये छात्रों ने बताया कि वो विगत नवंबर माह से डीएसपी वीर धीरेंद्र से ज्ञान अर्जित कर रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि जब कोई भी छात्र किसी प्रश्न में उलझ जाते हैं तो उन्हें यह छूट दी गई है कि किसी भी समय वह अपनी समस्या के समाधान के लिए डीएसपी का सहयोग ले सकते हैं. इस खास पहल के कारण सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों को काफी सहयोग मिलता है.
गरीब छात्र-छात्राओं के लिये मसीहा बने सदर डीएसपी डीएसपी की पहल छात्रों के लिये वरदान
छात्रों ने बताया कि यहां जीएस, भूगोल शास्त्र, राजनीति शास्त्र, इतिहास, करंट अफेयर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित अन्य विषयों की पढ़ाई कराई जाती है. इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग और बिहार लोक सेवा आयोग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोई ऐसी व्यवस्था नहीं थी. इसके लिए बड़े शहरों में जाना पड़ता था और एक से डेढ़ लाख रुपए खर्च कर तैयारी करनी पड़ती थी. ये गरीब छात्र-छात्राओं के लिए संभव नहीं था. सदर डीएसपी की ये पहल अब इनके लिये वरदान साबित हो रहा है.
डॉ. कुमार वीर धीरेंद्र, सदर डीएसपी क्या कहते हैं सदर डीएसपी
बता दें कि सीतामढ़ी के सदर डीएसपी डॉ. कुमार वीर धीरेंद्र 2013 बैच के पदाधिकारी हैं. उनकी शिक्षा-दीक्षा जेएनयू से हुई है. उन्होंने जेएनयू से मास्टर एमफिल और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है. इसके साथ ही उनकी स्कूली शिक्षा झारखंड के गुमला में हुई है. डीएसपी ने बताया कि मैं एक अति साधारण परिवार से आता हूं. अपनी लगन और मेहनत से मैंने इस मुकाम को हासिल किया है.
गरीब छात्र-छात्राओं की मदद करने का संकल्प
उन्होंने कहा कि यदि मेरे थोड़े से समय देने के कारण गरीब छात्र-छात्राओं का भविष्य सुनहरा हो जाता है तो इससे ज्यादा खुशी मुझे और किसी चीज में नहीं मिल सकती. मेरा संकल्प है कि जब तक मैं शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहूंगा तब तक छात्र-छात्राओं को सहयोग करता रहूंगा.