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सीतामढ़ी: बूढ़ी गंडक और बागमती का बढ़ा जलस्तर, तटबंधों से नहीं हटाया गया अतिक्रमण - बागमती नदी

नेपाल से सटे सीतामढ़ी में बूढ़ी गंडक और बागमती नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है. प्रशासन की तरफ से बाढ़ निरोधी कार्य शुरू कर दिया गया है लेकिन इसे अमली जामा पहनाने में कोताही बरती जा रही है.

तटबंधों से नहीं हटाया गया अतिक्रमण

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Published : Jul 9, 2019, 12:13 AM IST

Updated : Jul 10, 2019, 4:02 PM IST

सीतामढ़ी:जिले में बाढ़ की संभावनाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने नेपाल से सटे तराई के इलाकों में मिट्टी भराई के निर्देश दिए हैं, लेकिन ये सभी गाइडलाइन्स और दावे खोखले नजर आ रहे हैं. अवैध रूप से मिट्टी कटाई और अतिक्रमण हटाने का निर्देश भी हवा-हवाई ही है.

जिलाधिकारी रंजीत कुमार ने जून महीने के प्रथम सप्ताह में आदेश दिया था कि जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से गुजरने वाले सभी क्षतिग्रस्त तटबंधों का मरम्मती कार्य 15 जून तक पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही, तटबंध के किनारे लगे अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा. इसके अलावा तटबंध के आसपास अवैध रूप से मिट्टी कटाई करने वाले माफियाओं पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

कछुए की गति से हो रहा बाढ़ निरोधी कार्य
रेन कटिंग की मरम्मती का कार्य शुरू तो किया गया , लेकिन बेहद धीमी गति से. वहीं, अतिक्रमणकारियों का कब्जा और मिट्टी माफियाओं द्वारा कटाव अभी भी जारी है. इस पर अब तक अंकुश नहीं लगाया जा सका है. नतीजतन तटबंध पर खतरा मंडरा रहा है. इसको लेकर तटबंध के किनारे बसने वाले दर्जनों गांव के लोग चिंतित हैं.

अतिक्रमण से तटबंध को खतरा
वहीं, तटबंध के किनारे अतिक्रमण के कारण चूहे व अन्य जानवर इसे क्षति पहुंचा रहे हैं. इस कारण बाढ़ के पानी का रिसाव होकर तटबंध टूटने का भय बना हुआ है. लिहाजा रेन कटिंग की मरम्मती के साथ अतिक्रमण मुक्त कराना भी बेहद जरूरी है.

बाढ़ निरोधी कार्य में लापरवाही

गुणवत्ता में भारी कमी
आपदा विभाग की ओर से 100 किलोमीटर से भी अधिक लंबी तटबंध की मरम्मत के लिए जिस बोरे का उपयोग किया जा रहा है, उसमें अधिकांश बोरे फटे और जर्जर मुहैया कराए गए हैं. इससे विभाग की ओर से निर्धारित मात्रा की मिट्टी भी बोरे में नहीं आ पा रही है. इसलिए मरम्मती कार्य पर भी गुणवत्तापूर्वक नहीं हो रहा है. लिहाजा यह खानापूर्ति बनकर रह गया है.

जल स्तर में बढ़ोतरी जारी
नेपाल की तराई में हो रही बारिश के कारण बागमती और बूढ़ी गंडक नदी के जल स्तर में वृद्धि होना शुरू गई है. जिले की अधिकांश आबादी इन दोनों नदियों के किनारे बसी हुई है. आपदा विभाग की धीमी प्रक्रिया को देखकर जिलावासी चिंतित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल इसी तरह बाढ़ आने से पूर्व जिला प्रशासन की ओर से बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन जब बाढ़ दस्तक दे देती है तब खानापूर्ति के लिए मरम्मती और बचाव कार्य की प्रक्रिया शुरू की जाती है.

ड्यूटी से गायब अधिकारी
जिलाधिकारी डॉ रंजीत कुमार सिंह ने आदेश दिया था कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के एसडीओ, सीओ, बीडीओ और आपदा विभाग के कर्मचारी तटबंध की देखरेख के लिए तैनात रहेंगे, लेकिन ईटीवी भारत ने जब तटबंध का जायजा लिया तो वहां सिर्फ मजदूर ही तैनात नजर आए. कोई भी कर्मी या अधिकारी मौजूद नहीं था. मरम्मती कार्य में जुटे मजदूरों से जब संवाददाता ने पूछा तो खुलासा हुआ कि 1 सप्ताह से अधिकारी मरम्मत कार्यों का जायजा लेने नहीं आए.

Last Updated : Jul 10, 2019, 4:02 PM IST

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