सीतामढ़ी:जिले में मॉनसून के आने और नदी के जलस्तर में वृद्धि होने पर हर साल की भांति इस साल भी तटबंधों का टूटना तय है. समय पर न तो निर्माण कार्य होता है और न ही मरम्मत का कार्य. सरकार की नींद तब खुलती है जब कोई बड़ा हादसा हो जाता है या होने की कगार पर रहता है.
मॉनसून के दस्तक के बाद नेपाल की तराई से निकलने वाली बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि होनी शुरू हो गई है. जिसको देखते हुए जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने तटबंधों में बने रेन कट और सुरंगों को जल्द से जल्द दुरुस्त करने का आदेश दे दिया है.
जेसीबी और पॉपुलर मशीन की जगह कुदाल से चल रहा काम
जिले के कई प्रखंडों में बने तटबंध की मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि सिरसिया गांव से मारर गांव के बीच जो तटबंध बने हैं, उनमें कई जगहों पर जंगली जानवरों ने सुरंग बना दिया है. सुरंगों को खोजने और उसे दुरुस्त करने के लिए जेसीबी और पॉपुलर मशीन की जरूरत है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और संवेदक सुरंगों की मरम्मत में कोताही बरत रहे हैं.
जेसीबी और पॉपुलर की जगह मजदूरों से कुदाल के जरिए सुरंगों को खोजने का काम किया जा रहा है. जिसके कारण मजदूरों को सफलता नहीं मिल रही है. लिहाजा ग्रामीणों को ये डर सता रहा है कि इस कोताही और खानापूर्ति का खामियाजा कहीं तटबंध के आसपास बसे गांव के लोगों को न भुगतना पड़ जाए. क्योंकि जिन सुरंगों की खोज की जा रही है, उन सुरंगों का पता ही नहीं लग पा रहा है. ऐसे में सुरंगों को पाने का यह असफल प्रयास पानी के रिसाव को कैसे रोक पाएगा?
सिर्फ खुदाई कर मिट्टी भर देने से नहीं रोका जा सकता रिसाव
इस क्रम में जब ग्रामीण एमडी हुसैन और पंकज सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष आयी भीषण बाढ़ के दौरान जिले के रूपौली और मधकौल गांव के समीप तटबंध में जबरदस्त रिसाव हुआ था. कई दिनों के अथक प्रयास के बाद ग्रामीणों की मदद से उस रिसाव पर काबू पाया गया था और तटबंध टूटने से बचाया गया था. उन्हीं रिसाव वाले जगह को दुरुस्त करने के लिए स्थानीय प्रशासन और संवेदक लगे हुए हैं. लेकिन मरम्मती कार्य में कोताही बरती जा रही है.
बागमती नदी के जल स्तर में वृद्धि इसी का नतीजा है कि सुरंग का पता लगाना और उसे दुरुस्त करना मुश्किल हो गया है. तटबंध के मरम्मत कार्य में लगे मजदूरों का कहना है कि जिन जगहों पर पूर्व से रिसाव हो रहा है. उस जगह पर कई सुरंग बने हुए हैं. जिसे खोजने और दुरुस्त करने के लिए जेसीबी और पॉपुलर मशीन के अलावा सुरंगों को भरने के लिए बोरे में मिट्टी भरकर डालना बहुत जरूरी है. सिर्फ खुदाई कर मिट्टी भर देने से रिसाव को नहीं रोका जा सकता.
बोरे में बंद मिट्टी मुहैया नहीं करा रहे प्रशासन और ठेकेदार
वहीं, मजदूर राम विनय कुमार ने बताया कि हम सभी मजदूर सुरंगों को अच्छी तरह से बंद करने के लिए बोरे में बंद मिट्टी की मांग कर रहे हैं. लेकिन ठेकेदार और स्थानीय प्रशासन बोरे में बंद मिट्टी मुहैया नहीं करा रही है. लिहाजा इन सुरंगों से होने वाले रिसाव को रोक पाना बेहद मुश्किल है. जल स्तर में वृद्धि होने पर रिसाव वाले जगह से फिर से रिसाव होने लगेगा, जिसे रोक पाना मुश्किल होगा. क्योंकि सही तरीके से इसकी रोकथाम के लिए ठेकेदार और स्थानीय प्रशासन सामग्री मुहैया नहीं करा रही है. सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे में तटबंध से रिसाव होने से इसके ऊपर पानी का दबाव बढ़ेगा. ऐसी परिस्थिति में तटबंध को टूटने से बचा पाना बेहद मुश्किल होगा.
'हर हाल में रिसाव को बंद करने की कोशिश जारी'
इस संबंध में पूछे जाने पर संवेदक अनिल कुमार पांडे ने बताया कि मधकौल गांव में जिन जगहों पर पिछले वर्ष रिसाव हुआ था. उस जगह पर जेसीबी से सुरंग की खोज की गई है. लेकिन पता नहीं चल पाया है, उस जगह पर अभी काम होना बाकी है. रुपौली गांव के समीप होने वाले रिसाव को रोकने के लिए मजदूरों को लगाया गया है. जरूरत महसूस होने पर सुरंग को बंद करने के लिए बोरे में मिट्टी डालकर उसे दुरुस्त किया जाएगा. अभी काम चल रहा है. हर हाल में रिसाव को बंद करने की कोशिश जारी है.