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सीतामढ़ीः समीक्षा के बाद बोले मंत्री श्रवण कुमार, आपदा पीड़ितों को जल्द मिलेगी सहायता

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Published : Oct 23, 2019, 12:01 PM IST

जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. इस विभीषिका के कारण जिले के 16 प्रखंडों के करीब 22 लाख की आबादी पूरी तरह प्रभावित हुई थी. वहीं, करीब 80 हजार हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गई थी.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार

सीतामढ़ी:जिले के लोगों को भारी बारिश के बाद बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ी थी. किसानों का लाखों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गया. इसके अलावा ग्रामीणों को सड़क से लेकर मूलभूत सुविधाएं से भी वंचित होना पड़ा है. हालांकि तबाही झेलने वाले लोगों को जल्द ही सरकारी मदद मिलने जा रही है. इसकी घोषणा ग्रामीण विकास मंत्री ने की है.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने आश्वस्त करते हुए कहा कि बाढ़ से प्रभावित लोगों को सरकार सहायता देने जा रही है. ग्रामीण विकास मंत्री ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों को जल्द ही सहायता मिलेगी. जिले में बारिश और बाढ़ के पानी से ग्रामीण सड़कों से लेकर पुल पुलिया ध्वस्त हो गया था. वहीं फसलों को काफी नुकसान पहुंचा. बाढ़ के कारण लाखों की आबादी प्रभावित हुई है. सरकार अपने स्तर से प्रभावितों की मदद कर रही है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

80 हजार हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद
श्रवण कुमार ने बाढ़ की समीक्षा के बाद कहा कि बाढ़ के बाद हुई क्षति की भरपाई सरकारी स्तर पर की जाएगी. इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. बता दें कि जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. इस विभीषिका के कारण जिले के 16 प्रखंडों के करीब 22 लाख की आबादी पूरी तरह प्रभावित हुई थी. वहीं, करीब 80 हजार हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गई. हजारों शौचालय, मकान, ग्रामीण सड़कें, पुल-पुलिया ध्वस्त हो गया था.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार

2017 की सूची से मिल रहा मदद
हालांकि वर्ष 2017 की सूची के अनुसार राज्य सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से पीड़ित के खाते में सहायता राशि भेजी गई है. हालांकि 2017 की सूची में नाम नहीं होने के कारण कई पीड़ित इससे वंचित हैं. लिहाजा पीड़ित को मकान, शौचालय, फसल और मवेशियों की क्षतिपूर्ति से वंचित हैं. वहीं, बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों के किसानों ने बताया कि मंत्री और आला अधिकारी सिर्फ घोषणा करते हैं. लेकिन धरातल पर अमल नहीं किया जाता. इसका खामियाजा पीड़ितों को भुगतना पड़ रहा है.

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