सीतामढ़ीः रीगा शुगर मिल के डिस्टलरी से निकले गंदे पानी और कचरे से मनुषमारा नदी का जल काला पानी में तब्दील हो चुका है. इस मिल से निकले कचरे को नदी में छोड़ा जाता है. जिससे नदी का जल दूषित होता जा रहा है. सिंचाई और निजी उपयोग के लिए पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता है. इससे लाखों किसानों की जिंदगी तबाह हो रही है.
रात के समय छोड़ा जाता है पानी
जिला के रीगा स्थित रीगा शुगर मिल लिमिटेड का डिस्टलरी प्लांट का कचरा लाखों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. मिल प्रबंधन की मनमानी और सरकार की उदासीनता के कारण दर्जनों गांव के लाखों की आबादी 'काला पानी' की सजा भुगतने को मजबूर है. मनुषमारा नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव के लोगों का कहना है कि रीगा मिल प्रबंधन वर्षों पूर्व शुगर मिल की धुलाई कर गंदे पानी को नदी की धारा में पहुंचा देता था. अब कुछ वर्षों से मिल प्रबंधन डिस्टलरी का गंदा पानी चोरी छिपे रात के समय अपने निजी नाले के जरिए नदी में प्रवाहित कर देता है.
नदी में फैला जलकुंभी का जाल दूषित नदी से कई गांव प्रभावित
इसका नतीजा है कि 50 किलोमीटर से अधिक लंबी यह नदी आज लोगों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. रीगा से लेकर रूनीसैदपुर के आगे तक बहने वाली मनुषमारा नदी के किनारे बसे रीगा, कुसुमारी, परशुरामपुर, उफरोलिया, रामपुर, बराही, खरसान, मीनापुर बलहा, बसतपुर, पकरी, परसौनी, धुरवार, कन्हौली, कोर्रा, रमणी, भोरहा, पताही, मुसहरी, जाफरपुर, बसौल, रुपौली, सॉली और सिरसिया गांव इस काले पानी के कारण परेशान हैं.
पानी के इस्तेमाल से होती है बीमारी
इस दूषित जल को ना तो सिंचाई में उपयोग किया जा सकता है ना ही निजी उपयोग. इसके साथ ही इस पानी के कारण नदी में रहने वाले जलीय जीव भी असमय मर जाते हैं. इस जल को अगर कोई उपयोग में लाता भी है तो उसे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है. इस नदी की धारा के बीच जलकुंभी जैसा जलीय जंगल फैल चुका है. यहां फैले मच्छरों ने नदी किनारे गांवों में रहने वाले लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.
दुषित जल की जानकारी देते किसान और अधिकारी जल्द दूर की जाएगी समस्या
इस सिलसिले में डीएम रंजीत कुमार ने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत जल्द ही शुगर मिल प्रबंधक से बात कर इसका निदान करेंगे. नदी में स्वच्छ जल प्रवाहित हो इस दिशा में काम किया जायेगा. मिल प्रबंधन की ओर से भी इस समस्या के समाधान का अश्वासन दिया गया है.