सीतामढ़ीः मौसम का मिजाज बदलते ही जिले के बखरी गांव में रहने वाले मल्लिक परिवार ने मिथिला की परंपरागत बेना बनाने का काम शुरू कर दिया है. बेना एक प्रकार का हाथ पंखा है. जिसे गर्मी से निजात पाने के लिए उपयोग में लाया जाता है और संपूर्ण मिथिला में बेना झलने का काम बरसों से होता आ रहा है.
सीतामढ़ीः मौसम के बदलते ही, मल्लिक परिवार ने बेना बनाने का काम किया शुरू - मल्लिक परिवार ने बेना बनाने का काम किया शुरू
मौसम के बदलते ही सीतामढ़ी के बखरी गांव के मल्लिक परिवार मिथिला की परंपरागत बेना बनाने का काम शुरू कर दिया है. संपूर्ण मिथिला में बेना झलने का काम बरसों से होता आ रहा है.
परंपरागत बेना बनाने का काम शुरू
बखरी गांव के मल्लिक समुदाय के लोग इसे अपना परंपरागत पेशा बताते हैं. इस मौसम में प्रत्येक वर्ष बेना का निर्माण कर गांव और शहर के बाजारों में बेचते हैं. इस परंपरागत पेशे से जुड़े मल्लिक परिवार का कहना है कि बेना निर्माण के लिए बांस, रंग और प्लास्टिक की रस्सी की जरूरत होती है. एक बांस में करीब 20 बेना का निर्माण होता है. एक व्यक्ति 1 दिन में करीब 10 बेना तैयार करता है. इसकी बिक्री से जो आमदनी होती है, उसी से परिवार का भरण पोषण होता है. न तो इनके पास भूमि है, न हीं आमदनी का कोई दूसरा जरिया.
मल्लिक परिवार का परंपरागत पेशा
बेना निर्माण में जुटे मल्लिक परिवार का कहना है कि वर्षों पूर्व बेना एक से 2 रुपये प्रति पीस की दर से बिकता था, तब बांस और अन्य कच्चा सामान सस्ते होते थे. लेकिन अब महंगाई बढ़ जाने के बाद एक बेने की बिक्री दर 20 रुपये है. क्योंकि एक बांस की खरीदारी 150 में होती है. सामग्री को तैयार करने में 2 दिन का समय लगता है तब जाकर इसका निर्माण शुरू किया जाता है.