सीतामढ़ी: सरकार बेटियों की पढ़ाई के लिए बड़ी- बड़ी योजनाओं के दावे करती है, लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल कुछ और ही है. जिले के एक कन्या उच्च विद्यालय में शिक्षकों के अभाव से छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
पूरा मामला जिले के इंटर स्तरीय रामलगन सिंह मधकौल प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय का है. इस विद्यालय की स्थापना 1981 में हुई थी, लेकिन अब तक इस विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं हो पाई. यहां मात्र तीन कमरे में 600 छात्राएं पढ़ने को विवश हैं.
छात्राओं और विद्यालय प्रशासन का बयान शिक्षकों के कई पद हैं खाली
इसके साथ इस विद्यालय में शिक्षकों की काफी कमी है. इस विद्यालय में मात्र 4 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यहां 15 शिक्षकों का पद खाली है. इसके साथ यहां उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक ही कार्यरत हैं. उच्चतर माध्यमिक के लिए यहां शिक्षकों के आठ पद रिक्त हैं.
कई समस्याओं से परेशानछात्राएं
छात्राओं का कहना है कि शिक्षकों की कमी की वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती है. सभी विषयों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. विद्यालय में शौचालय की भी समस्या है. इसके साथ यहां कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. यहां बिजली और कंप्यूटर भी बहुत पहले से खराब हैं.
'शिक्षकों की कमी है बड़ी समस्या'
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सत्येंद्र नारायण सिंह का कहना है कि यहां शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित होती है. कक्षा की कमी से भी काफी समस्या है. छात्राओं को बैठने के लिए सीट तक नहीं मिल पाती है. इस संबंध में विभाग के पदाधिकारी को पत्राचार किया गया. लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
'जल्द होगी शिक्षकों की बहाली'
वहीं, इस संबंध में शिक्षा पदाधिकारी रामचंद्र मंडल ने बताया कि शिक्षकों का नियोजन कार्य बहुत दिनों से रुका हुआ था. बिहार सरकार ने अब शिक्षकों के नियोजन के लिए समय तालिका जारी कर दी है. नए शिक्षकों की बहाली के बाद शिक्षकों की कमी की समस्या खत्म हो जाएगी.