सीतामढ़ी:2004 में 165 देशों के कराटे चैंपियनशिप में देश का परचम लहरा चुकी ललिता अब गुमनामी की जिंदगी जीने पर बेबस है. 2004 में ही राज्य की वर्तमान मुखिया राबड़ी देवी ने ललिता को सम्मानित भी किया था और हर तरह की सहायता का आश्वासन भी दिया था. बावजूद इसके ललिता को अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिला. वर्तमान में ललिता सोनबरसा थाना क्षेत्र के लक्ष्मीनिया गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं और छात्र-छात्राओं को कराटे की ट्रेनिंग देती है.
सोनबरसा थाना क्षेत्र के लक्ष्मीनिया गांव निवासी ललिता देवी दिल्ली में हुए 165 देशों के कराटे चैंपियनशिप में प्रथम स्थान लाकर पूरे विश्व में देश का परचम लहराया था. ललिता के कारनामों को देखकर यूनिसेफ ने ललिता को अपना आईकॉन बनाते हुए ललिता के नाम पर एक पुस्तक भी निकाला था. इस कामयाबी के बाद ललिता ने जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर छात्र छात्राओं को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया था. लेकिन सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण कुछ ही दिनों में ललिता ने प्रशिक्षित करने का काम छोड़ दिया. ललिता बताती है कि आर्थिक कमजोरी के कारण और सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण उसने छात्र छात्राओं को प्रशिक्षित करना छोड़ दिया.
पीएम सम्मान के नाम पर ठगी
ललिता ने बताया कि वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा उन्हें एक पत्र मिला कि उन्हें दिल्ली में प्रधानमंत्री के द्वारा सम्मानित किया जाएगा. वहीं, एक संस्था के द्वारा उन्हें और उनके पति को दिल्ली ले जाया गया. इसके बाद एक चादर से सम्मानित कर उन्हें दिल्ली में छोड़ दिया गया. ललिता ने बताया है कि वह किसी तरह अपने घर पहुंची. क्योंकि उस वक्त उन्हें काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था.