बिहार

bihar

ETV Bharat / state

सीतामढ़ी: कोरोना के बीच धूमधाम से मनाया जा रहा जन्माष्टमी का त्योहार

भगवान श्री कृष्ण रात 12 बजे जन्म लेंगे. सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए आज का दिन बेहद पवित्र दिन है. इस साल सोशल डिस्टेंस के बीच पूजा-पाठ किया जा रहा है.

जन्माष्टमी का त्योहार
जन्माष्टमी का त्योहार

By

Published : Aug 11, 2020, 5:33 PM IST

सीतामढ़ी:जिले में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच जन्माष्टमी का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया गया. शहर से लेकर गांव तक श्री कृष्ण भक्तों की ओर से मूर्ति पूजन कार्यक्रम का आयोजन देखने को मिला. पहली बार ऐसा हुआ है जब भक्त पूजा-अर्चना के दौरान सोशल डिस्टेंस का अनुपालन करते हुए भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं.

पंडित नागेंद्र झा की मानें तो कोरोना काल में श्री कृष्ण की पूजा अर्चना विधि पूर्वक की जा रही है. लेकिन सामाजिक दूरी का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण रात 12 बजे जन्म लेंगे, उस समय भी पूजा अर्चना की जाएगी. इसके बाद भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया जाएगा. कई जगहों पर भजन कीर्तन का भी आयोजन किया जाना है.

पूजा करते पंडित

क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी?
पंडितों का बताना है कि आज ही के दिन अत्याचारी कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए आज का दिन बेहद पवित्र दिन है. इस दिन जो भक्त सच्चे मन से भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना कर मन्नत मांगते हैं, भगवान उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.

स्थापित किया गया कलश

इस तरह करें श्री कृष्ण की आराधना
भगवान कृष्ण का जन्म समय रात 12 बजे होता है इसलिए उससे पहले ही पूजन की तैयारी करके रखें. संभव हो तो रात 12 बजे कृष्ण जन्म का सोहर लगाएं. सोहर समाप्त होने पर श्री कृष्ण की मूर्ति अथवा चित्र की पूजा करें. जिनके लिए भगवान श्री कृष्ण की षोडशोपचार पूजा करना संभव है वे उस प्रकार पूजा करें. जिनके लिए भगवान श्री कृष्ण की षोडशोपचार पूजा करना संभव नहीं है, वह पंचोपचार पूजा करें. पूजा करते समय सपरिवाराय श्री कृष्णाय नमः यह नाम मंत्र बोलते हुए एक-एक उपचार भगवान श्री कृष्ण को अर्पण करें. भगवान श्री कृष्ण को दही, चुरा, और माखन का भोग लगाएं. उसके बाद भगवान श्री कृष्ण की आरती करें.पंचोपचार पूजा में गंध, चंदन, हल्दी, कुमकुम, पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य पूजन सामग्री में शामिल करें.

पूजा के लिए की गई तैयारी

पूजन संभव न हो तो करें मानस पूजा
जो भक्त किसी कारण बस भगवान श्री कृष्ण की प्रत्यक्ष पूजा नहीं कर सकते वह भगवान श्री कृष्ण की मानस पूजा करें. मानस पूजा का अर्थ प्रत्यक्ष पूजा करना संभव ना हो तो पूजन के सर्व उपचार मानस रूप से यानी मन से भगवान श्री कृष्ण को अर्पण करना. पूजन के उपरांत कुछ समय तक भगवान श्री कृष्ण का नाम जप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें. पूजन के बाद भक्त 6 दिनों तक भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं. छठे दिन भगवान श्री कृष्ण की छठी मनाई जाती है. उसके बाद श्री कृष्ण की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है. यह परंपरा त्रेता काल से चलती आ रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details