सीतामढ़ी:मां सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर के महंत पर मंदिर की भूमि और संपत्ति में गड़बड़ी करने का आरोप स्थानीय लोगों ने लगाया है. इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों और महंत के बीच सियासत तेज हो गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत वंशवाद का नाजायज फायदा उठाते हुए मंदिर की भूमि और सैकड़ों दुकानों से आने वाले राशि का बंदरबांट कर रहे हैं. आरोप है कि नाम बदलकर मंदिर की संपत्ति को बेचा जा रहा है.
गंभीर आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे मंदिर के विकास की दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है इसलिए मां जगत जननी की यह स्थली पर्यटकों के लिए उदासीन बनी हुई है. महंत मंदिर परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के स्थलों को मुंह बोले दाम पर दूसरे पुजारियों के हवाले कर रहे हैं. हालांकि, स्थानीय दुकानदारों और महंत के बीच प्रॉपर्टी विवाद को लेकर स्थानीय न्यायालय में मामला भी दायर है.
क्या बोले महंत...
इस संबंध में पूछे जाने पर महंत विनोद दास ने बताया कि मंदिर का इतिहास 1599 से जुड़ा है. 1599 में उनके वंशज और पूर्वज हीरा राम दास ने मां सीता की जन्म स्थली को खोजा था. इसके बाद से उनकी यह 12वीं पीढ़ी है, जो महंत के पदों पर आसीन होते आ रही है. मंदिर से जुड़े जानकारों का कहना है कि 1599 में जब जानकी स्थान की खोज हुई थी, उसके बाद दरभंगा के महाराज श्री नरपत सिंह देव जी ने मां जगत जननी सीता की सेवा के लिए करीब 51 सौ एकड़ भूमि दान में दी थी. जो अब मात्र 30 एकड़ में सिमट कर रह गई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि महंत ने औने-पौने दामों में मंदिर की भूमि को निजी आदमी के हाथों बेच दी है.