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जिस कार्यालय में काम करते थे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, वहीं गुम हो रही उनकी यादें

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का इतिहास सीतामढ़ी के बेलसंड रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़ा है. इसके बावजूद सरकारी और विभागीय उदासीनता के कारण निबंधन कार्यालय में उनसे जुड़ी कोई भी यादें मौजूद नहीं है.ओज कवि रामधारी सिंह दिनकर, जिन्होंने श्रृंगार व गद्य को भी नई ऊंचाई दी आज उनका इतिहास गुमनामी में खोता जा रहा है.

ramdhari Singh Dinkar
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Published : Feb 7, 2021, 8:53 PM IST

Updated : Feb 8, 2021, 2:30 AM IST

सीतामढ़ी: रामधारी सिंह दिनकर एक अग्रगण्‍य कवि थे. उन्‍होंने युद्ध काव्य रचे और श्रृंगार से ओतप्रोत उर्वशी भी. गद्य भी लिखे व आलोचना भी. लेकिन राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर का इतिहाससरकार और विभाग की उदासीनता के कारण उपेक्षित है.

गुमनामी में दिनकर
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का इतिहास जिले के बेलसंड रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़ा है. इसके बावजूद सरकारी और विभागीय उदासीनता के कारण निबंधन कार्यालय में उनसे जुड़ी कोई भी यादें मौजूद नहीं है.

देखें रिपोर्ट

'हमें बेहद ही गर्व महसूस हो रहा है कि जिस निबंधन कार्यालय में सब रजिस्ट्रार के पद पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर तैनात रहे उस कार्यालय में हमें काम करने का अवसर मिला है. जिसको लेकर हम बेहद गौरवान्वित है. इस निबंधन कार्यालय में उनसे जुड़ी हुई कोई भी चीज उपलब्ध नहीं है, जिसका हमें मलाल है.'- अजय कुमार चौधरी, सब रजिस्टार, अवर निबंधन कार्यालय बेलसंड

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कार्यालय के नेम प्लेट में नहीं है नाम
निबंधन कार्यालय में लगे नेम प्लेट में कहीं भी उनका नाम अंकित नहीं है. ना ही कार्यालय के किसी कक्ष में उनकी तस्वीर दिखाई देती है. इस संबंध में पूछे जाने पर निबंधन कार्यालय से जुड़े जानकारों का बताना है कि इतने महान राष्ट्र कवि की तैनाती जिस निबंधन कार्यालय में रही. आज उस कार्यालय में कहीं भी उनसे जुड़ी हुई कोई भी यादें नहीं है. जो बेहद दुखद और शर्मनाक है.

यहीं पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह सब रजिस्ट्रार के पद पर तैनात थे

दिनकर रजिस्ट्रार के पद पर थे नियुक्त
निबंधन कार्यालय में सब रजिस्ट्रार के पद पर अपनी सेवा देने वाले महान राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर से जुड़ी कोई भी चीजें निबंधन कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने के कारण अधिकांश लोग उनसे जुड़ी जानकारी से वंचित हैं. जिसका नतीजा है कि बहुत कम लोग ही जानते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बिहार सरकार के अधीन सब रजिस्ट्रार के पद पर राष्ट्रकवि तैनात किए गए थे. इसके बावजूद इस महान विभूति की याद, त्याग को सहेजने और संवारने का काम नहीं किया गया. इसका नतीजा है कि नई पीढ़ी के बीच उनसे जुड़ी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है.

दिनकर की कालजयी रचनाओं को आज भी किया जाता है स्मरण

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का बताना है कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के एक प्रमुख लेखक, कवि और निबंधकार थे. वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस कवि के रूप में स्थापित हैं. दिनकर स्वतंत्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र कवि के नाम से जाने गए. वह छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे.

रामधारी सिंह दिनकर एक अग्रगण्‍य कवि थे

23 सितंबर को जन्म
दिनकर का जन्म पूर्व का मुंगेर और वर्तमान के बेगूसराय जिले के सिमरिया में 23 सितंबर 1908 में हुआ था. बेगूसराय से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद उन्हें 1934 में बिहार सरकार के अधीन सब रजिस्ट्रार के पद पर तैनात किया गया.

4 वर्षों में 22 बार तबादला
करीब 9 वर्षों तक अलग-अलग क्षेत्रों में सब रजिस्ट्रार के पद पर दिनकर रहे. इस दौरान उन्होंने रेणुका, हुंकार, रसवंती और द्वंद गीत रचे. रेणुका और हुंकार की कुछ रचनाएं प्रकाश में आई जो अंग्रेजी हुकूमत को नागवार गुजरी. जिस कारण 4 वर्षों में 22 बार उनका तबादला किया गया.

खो रहा दिनकर का इतिहास
जानकारों का बताना है कि 1947 में आजादी के बाद राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष बने. उसके बाद 1952 में जब भारत का प्रथम संसद का निर्माण हुआ तो उन्हें राज्यसभा सदस्य चुना गया. दिनकर जी 12 वर्षों तक राज्य सभा सदस्य रहे. उसके बाद 1964 से 1965 तक भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए. उसके बाद अगले ही वर्ष भारत सरकार ने उन्हें 1965 से 1971 तक हिंदी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था.

Last Updated : Feb 8, 2021, 2:30 AM IST

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