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सीतामढ़ी: पुनौरा धाम में दुर्गा पूजा की धूम, रामायणकाल से जुड़े 31 मूर्तियों का किया गया है निर्माण - पुनौरा धाम का पौराणिक महत्व

शक्ति स्वरूपा की पूजा को लेकर जिलावासियों में काफी उत्साह है. इस अवसर पर जिले के प्राचीन मंदिर मां जानकी की जन्मभूमि पुनौरा धाम मंदिर परिसर पूजा पंडाल में कुल 31 मूर्तियां का निर्माण किया गया है. जो जिलावासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

पुनौरा धाम में दुर्गा पूजा की धूम

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Published : Oct 6, 2019, 2:48 PM IST

सीतामढ़ी: पूरे देश में नवरात्रि धूमधाम से मनाई जा रही है. जिले में भी शक्ति स्वरूपा मां अंबा की पूजा-अर्चना बड़े ही धूमधाम से की जा रही है. शहर के अति प्राचीन मंदिर मां जानकी की जन्मभूमि पुनौरा धाम में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां शेरावाली के पट खोले गए. जिसके बाद वहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी.

मां के जयकारे से पूरा इलाका गूंज उठा. पूजा पंडालों में देवी मां की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की लंबी कतार देखी गई. शहर में गूंज रहे मां अंबे के भजनों से शहर का माहौल भक्तिमय हो गया है.

उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

31 मूर्तियों का किया गया है निर्माण
शक्ति स्वरूपा की पूजा को लेकर जिलावासियों में काफी उत्साह है. इस अवसर पर जिले के प्राचीन मंदिर मां जानकी की जन्मभूमि पुनौरा धाम मंदिर परिसर पूजा पंडाल में कुल 31 मूर्तियां का निर्माण किया गया है. जो जिलावासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस पूजा पंडाल में रामायण काल को दर्शाया गया है.

रामायणकाल से जुड़े 31 मूर्तियों का किया गया है निर्माण

शारदीय नवरात्रि में होती है विशेष पूजन
पुनौरा धाम पूजा समिति के अध्यक्ष का कहना है कि शारदीय नवरात्रि में यहां पर कलश स्थापना के बाद प्रत्येक दिन पंडितों के समूह की ओर से 'संपुट शप्तशती' का पाठ किया जाता है. यहां पर अलग पद्धति से वर्षों से पूजा होती आ रही है. यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना सदैव पूर्ण होती है. नवरात्रा में मंदिर परिसर में जप, पाठ पूजन से मनोवांछित फल मिलता है. यहां सालों भर भक्तों की भीड़ रहती है.

देखिए यह खास रिपोर्ट

मंदिर का है पौराणिक महत्व
इलाके के जानकारों का कहना है कि यहां के जानकी कुण्ड में ही मां सीता का जन्म हुआ था. दंतकथाओं की माने तो राजा जनक के क्षेत्र मिथिला में एक बार भयानक अकाल पड़ा. जिसके बाद राजा जनक ने इससे निपटने के लिए ऋषि-मुनियों की सलाह पर अपने साम्राज्य की सीमा सीतामढ़ी के गिरमिसानी गांव के खेतों में हल जोता था. जुताई के दौरान राजा का हल एक घड़े से टकाराया. ऐसी मान्यता है कि इसी घड़े से मां जानकी की उत्पत्ति हुई. मां सीता के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई पड़ा लेकिन कालांतर में यह बदलकर सीतामढ़ी हो गया.

अध्यक्ष , पुनौरा धाम पूजा समिति

8 अक्टूबर को होगा समापन
बता दें कि इस बार नवरात्रि इस 29 सितम्बर को शुरू हुआ था. इस महोत्सव का समापन 8 अक्टूबर को होगा. ज्योतिषविदों का कहना है कि इस बार का नवरात्रि 9 दिनों तक है जो बेहद फलदायी और शुभ माना जाता है. इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और माता की विदाई घोड़े पर होगी.

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