सीतामढ़ी: जिले के बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में पीड़ित किसानों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल, आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से फसलों की क्षति पर अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह काम फिलहाल शुरुआती स्तर में है. इस लाभ के लिए पीड़ित किसानों को फसल ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी है.
वहीं, फसल क्षति सर्वेक्षण के लिए लिखित आवेदन भरा जा रहा है. इस आवेदन के साथ संबंधित कागजात संलग्न कर स्थानीय कृषि सलाहकार के यहां जमा कराई जा रही है. मालूम हो कि प्रक्रिया के शुरू होते ही पीड़ित किसानों के चेहरे पर आशा की किरण दिखाई देने लगी है.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट किसानों ने ली राहत
बाढ़ के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है. धान और गन्ने की फसल शत-प्रतिशत प्रभावित हो चुकी है. पीड़ित किसानों ने बताया कि इस बार आई बाढ़ की विभीषिका के कारण कुछ भी नहीं बचा. वह दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. ऐसे में अगर सरकार कुछ राहत और अनुदान दे रही है तो इससे परिवार की स्थिति में सहयोग मिलेगा.
2017 की सूची के हिसाब से होगा वितरण
हालांकि, कुछ किसानों में इसके प्रति नाराजगी भी देखी जा रही है. क्योंकि विभागीय स्तर पर जो प्रक्रिया की जा रही है, वह वर्ष 2017 की सूची के अनुसार शुरू की गई है. किसानों का कहना है कि 2017 की तुलना में इस बार अधिक भयानक बाढ़ आई और किसान भी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. ऐसे में प्रशासन को फिर से सूची तैयार कर अनुदान राशि का बंटवारा करना चाहिए. ताकि कोई पीड़ित किसान वंचित ना रह जाए.
लाभ के लिए आवश्यक शर्तें
फसल बीमा के लिए किसानों को अपना किसान रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति देना अनिवार्य है. इसके अलावे आवेदन के साथ जमीन की रसीद या एलपीसी की फोटोकॉपी भी देना आवश्यक है. साथ ही जो आवेदन दिए जा रहे हैं, उसमें बैंक का नाम, खाता संख्या, आईएफएससी कोड, किसान की श्रेणी, जमीन का रकबा, खाता और खसरा नंबर के अलावे मौसमी फसल और बहुवर्षीय फसल को अंकित करना अनिवार्य है.
जदयू जिला अध्यक्ष ने भी जताई आपत्ति
फसल क्षति और फसल बीमा को लेकर 2017 की सूची अपनाने पर जदयू जिलाध्यक्ष ने भी आपत्ति जताई है. जिला अध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने बताया कि 2017 की बाढ़ सूची का अब इस्तेमाल करना गलत है. इस बार की विभीषिका में अधिक किसान प्रभावित हुए हैं. इसलिए गांव-गांव जाकर विभागीयकर्मियों को सही सूची बनानी चाहिए.
अनुदान दर
बता दें कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सरकार ने तीन श्रेणियों में अनुदान राशि तय की है. इसके तहत मौसमी फसल जैसे धान सिंचित के लिए 13,500 रुपए और असिंचित के लिए 6,800 रुपए प्रति हेक्टेयर के अलावे बहुवर्षीय फसल जैसे गन्ना के लिए 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाएगी.