सीतामढ़ी:एक तरफ कोरोना की मार तो दूसरी तरफ बाढ़ ने किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. बागमती आधवारा समूह झीम नदी और लखनदेई नदी के जलस्तर में जहां कमी हो गई है वहीं, बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जिले में लगातार रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण कई बांधों में रेन कट हो गया है. कई गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं.
सीतामढ़ी: बांध में कटाव जारी, सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद - सीतामढ़ी में बाढ़
बांधों में लगातार कटाव होने के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गई है. सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी ईख और परवल की फसल बर्बाद हो चुकी है.
लोगों की मानें तो कई घरों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है. लोग ऊंचे ऊंचे स्थानों पर रह रहे हैं. इधर सुप्पी प्रखंड के जमला प्ररसा गांव में कटाव के कारण बाढ़ का पानी घुस गया है. सुप्पी प्रखंड के जमला प्ररसा गांव के पास कटाव होने से बाढ़ का पानी गांव में घुस गया है. ग्रामीण ऊंचे-ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. किसानों के खेतों में लगे सैकड़ों एकड़ ईख और परवल की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है.
जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग के खिलाफ आक्रोश
स्थानीय लोगों में जिला प्रशासन जल संसाधन विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश .है स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन जनप्रतिनिधि के साथ साथ इस मामले में जल संसाधन विभाग और स्थानीय प्रशासन पूरी तरीके से चुप्पी साधे बैठे हैं. पिछले 2 महीने से लगातार कटाव जारी है. ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि हर वर्ष कट ऑफ के बाद ही जल संसाधन विभाग को बांध मरम्मत की याद आती है जबकि बांध मरम्मत के नाम पर जल संसाधन विभाग की ओर से करोड़ों रुपये की निकासी की जाती है.