सीतामढ़ी: जिले में पुल की समस्या को लेकर सीतामढ़ी और शिवहर जिले के लाखों लोग प्रभावित हैं. मुख्य मार्ग पर पुल नहीं होने के कारण 6 महीने तक 2-3 जिलों को जोड़ने वाली सड़क पर यातायात बाधित है. 2 अलग-अलग जगहों पर पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं होने की वजह से सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर के लगभग 50 गांव के यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
शोभा की वस्तु बनकर रह गया पुल
पहला मामला जिले के बसौल गांव के पास का है, जहां 6 सालों से 'मनुष्य मरा नदी' पर पुल तो बनकर तैयार है, लेकिन अप्रोच रोड नहीं बनने के कारण यह सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस पुल का निर्माण 2013 में 6 करोड़ की लागत से ही किया गया था. स्थानीय किसानों को जमीन के मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया, जिस वजह से अप्रोच रोड के लिए उन लोगों ने अपनी निजी जमीन देने से मना कर दिया.
चचरी पुल के सहारे यातायात बाढ़ ने किया नवनिर्मित पुल को ध्वस्त
दूसरा मामला शिवहर जिले के तरियानी छपरा और मारड़ गांव के बीच का है, जहां 2016 में राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्स कंपनी ने करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण कराया था. लेकिन, 2017 में आई भीषण बाढ़ ने नवनिर्मित पुल को ध्वस्त कर दिया. इस वजह से इस मार्ग पर यातायात पूरी तरह से ठप है. यहां सिर्फ बाइक सवार और पैदल यात्री पुल के पास बनी बांस की चचरी पुल के सहारे यात्रा करते हैं.
रामा देवी, सांसद, शिवहर लोकसभा क्षेत्र 3 जिलों की लाइफ लाइन है पुल
तरियानी छपरा पंचायत के मुखिया श्याम बाबू सिंह ने इन दोनों पुल के बारे में बताया कि ये दोनों ही पुल सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर को जोड़ने के लिए लाइफ लाइन का काम करेंगे. लेकिन, इसके निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है. उन्होंने बताया कि यदि इन दोनों पुल का निर्माण हो जाए, तो एक जिले से दूसरे जिले की ओर जाने में काफी कम दूरी तय करनी होगी. साथ ही आम लोगों को व्यवसाय के अवसर भी मिलेंगे.
'जल्द शुरु होगा निर्माण कार्य'
इस संबंध में शिवहर लोकसभा क्षेत्र की सांसद रमा देवी ने बताया कि पुल की समस्या किसानों के कारण उत्पन्न होती है. किसान मनमाने तरीके से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. बावजूद इसके, उनकी मांग को स्वीकार कर लिया गया है और दोनों पुल का टेंडर भी हो चुका है, जल्द ही निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा.