सीतामढ़ी: सरकार के प्रतिबंध लगाने के बावजूद जिले में जागरुकता की कमी के कारण अधिकांश किसान अपनी फसल के अवशेष को खुलेआम खेतों में जलाकर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. जबकि सरकार की ओर से अवशेष जलाने पर कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं. लेकिन इस कानूनी कार्रवाई की बात से किसान अनभिज्ञ हैं.
उन्हें कृषि विभाग की ओर से अब तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि खेतों में फसल के अवशेष जलाने पर क्या क्षति होती है. इसकी वजह से अधिकांश प्रखंडों के किसान अवशेष को खुलेआम जलाकर प्रदूषण को बढ़ावा देने में लगे हैं.
पर्यावरण को हो रहा है नुकसान
कृषि विभाग के कर्मी के अनुसार अवशेष जलाने से जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. वहीं धरती की 6 इंच भूमि में पोषक तत्व होता है जो फसल को बेहतर बनाने में सहायक होता है. वह पोषक तत्व आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं. जिसके कारण पैदावार काफी कम होती है और ये कानूनन अपराध भी है. कृषि विभाग के कर्मियों का कहना है कि मिट्टी में मित्र और शत्रु दोनों प्रकार के कीट पाए जाते हैं. जो आग जलाने के बाद नष्ट हो जाते हैं. इसलिए फसल के अवशेष को खेतों में न जलाकर उसका उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है.