शेखपुराः शेखपुरा जिला के युवाओं ने भी देश की स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाई थी. 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन वीर सपूतों को याद करने की जरूरत है. ताकि देश के भविष्य उसकी गाथा को अपनी जीवन में शामिल कर सकें. 8 अगस्त 1942 के कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में महात्मा गांधी द्वारा आहूत की गई अगस्त क्रांति में शेखपुरा जिले के युवाओं ने अहम भूमिका निभाई थी.
सात दिनों तक बंद रहा था थाना
बरबीघा थाना में 12 अगस्त 1942 को एक सार्वजनिक सभा हुई और 16 अगस्त को डाकघर तथा डाकबंगला चौराहे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. इसका नेतृत्व माउर गांव निवासी जगदीश प्रसाद सिंह, शेरपर गांव निवासी कैलाश प्रसाद सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह ने किया. इन कांग्रेसियों के भय से स्थानीय थाना सात दिनों तक बंद रहा. 23 अगस्त 1942 को एक दर्जन गोरे सैनिकों ने बरबीघा के समीपवर्ती अलीनगर मुहल्ले के भगवती चरण वर्मा एवं तेउस गांव निवासी श्रीकृष्ण मोहन प्यारे सिंह को गिरफ्तार करने में सफलता मिली थी.
1942 में थाना कांग्रेस कमेटी शेखपुरा के सभापति चुनकेश्वर प्रसाद और मंत्री सिद्धेश्वर शर्मा थे. 16 अगस्त को शेखपुरा थाना और रजिस्ट्री कार्यालय पर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया था. स्कूल में भी हड़ताल रही, रेल लाइन भी बाधित की गई थी.
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बिहार केसरी वकालत छोड़ इस स्वतंत्रता आंदोलन में हुए थे शामिल
देश की स्वतंत्रता आंदोलन में बरबीघा के माउर गांव निवासी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह अपनी युवा अवस्था में वकालत के प्रैक्टिस को छोड़कर कूदे. और युवा अवस्था में अपने नेतृत्व के बुते वह पुरे बिहार में स्वतंत्रता आंदोलन के बड़े नायक बने. अपने प्रखर नेतृत्व और कर्मठता के बदौलत बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बने और अपने जीवन के अंतिम काल तक इस पद पर रहे. 1887 में जन्मे श्रीकृष्ण सिंह ने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव के प्राइमरी स्कूल से की. छात्रवृति पाकर आगे की पढ़ाई के लिए मुंगेर जिला स्कूल में भर्ती हुए.
1914 के बाद स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े
1914 में एलएलबी की डिग्री कोलकाता से की. फिर मुंगेर में ही वकालत की प्रैक्टिस करने लगे. इसी दौरान वह देश के स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित होकर आंदोलन से जुड़े. 1916 में उनकी पहली मुलाकत महात्मा गाँधी से बनारस में हुई. जिसके बाद वह पूरी तरह से देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे पड़े. 1922 में उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया. 1923 में वह ऑल इंडिया कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और देश की आजादी में वर्तमान शेखपुरा का लाल बिहार को नेतृत्व करने की गौरवशाली भूमिका निभाई.
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