शेखपुराःबिहार में कोरोना के मामले(Corona In Bihar) लगातार बढ़ रहे हैं. सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बढ़ोतरी के दावे भी किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. बिहार के शेखपुरा जिले के कैथवा और पचना में स्कूली बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट (Negligence In RTPCR Test) की रिपोर्ट अब तक नहीं आई. बाद में पता चला कि शेखपुरा सदर अस्पताल से सैंपल देर से भेजे जाने के कारण पीएमसीएच से 800 सैंपल सदर अस्पताल में वापस भेज दिया.
ये भी पढ़ेंःबिहार में आ गयी तीसरी लहर! पटना में एक साथ मिले 522 नए केस... 40 बच्चे भी संक्रमित
स्कूली बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की खबर से जिले में हड़कंप मच गया था. लेकिन पिछले 26 दिसम्बर को सिविल सर्जन डॉ. पृथ्वीराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्कूली बच्चों के कोविड पॉजिटिव होने की बात सिरे से नकारते हुए बताया था कि एंटीजन टेस्ट में कोविड पॉजिटिव होने के कई प्रकार के कारण होते हैं. जब तक पटना लैब से आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक उनको कोविड पॉजिटिव नहीं माना जा सकता. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद ही उनको पॉजिटिव पोर्टल पर डाला जाएगा.
ऐसे में जिले के लोगों को कैथवा और पचना के स्कूली बच्चों के आरटीपीसीआर रिपोर्ट के आने का इंतजार होने लगा. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट में हो रही देरी से लोग असमंजस की स्थिति में थे. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट 72 घंटों में मिल जाती है. लेकिन जब समय बीत जाने पर आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं आई, तो इस मामले की पड़ताल किये जाने पर चौकाने वाली बात सामने आई.
जांच के बाद पता चला कि शेखपुरा सदर अस्पताल से आरटीपीसीआर सैंपल देर से भेजे जाने पर पीएमसीएच से 800 सैंपल सदर अस्पताल में वापस भेज दिया गया है. जो स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है. ये लापरवाही शेखपुरा जिले में कोरोना विस्फोट का कारण बन सकता है.