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ठंंड की शुरुआत देर से होने से 6160 हजार हेक्टेयर बुआई अभी भी बाकी

ठंंड की शुरुआत देर से होने के कारण जनपद में अभी तक 72% ही हुआ गेहूं का आच्छादन 6160 हजार हेक्टेयर बुआई अभी भी बाकी.

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Published : Dec 13, 2020, 9:01 PM IST

खाली पड़े खेत
खाली पड़े खेत

शेखपुराः देर से सर्दी शुरू होने के कारण जिले में रबी की खेती इस वर्ष 10 दिन पीछे हो गयी. हालांकि ठंड शुरू होने के साथ किसानों ने बोवनी की रफ्तार बढ़ा दी है. अब तक जनपद में 72% यानि 15 हजार 840 हेक्टेयर में गेहूं का आच्छादन हो चुका है. अभी 06 हजार 160 हेक्टेयर में बोवनी बाकी है. कृषि विभाग की माने तो आगामी 15 दिन में शत- प्रतिशत बोवनी की संभावना है. हालांकि जिले में खेती के लिए अभी समय अनुकूल है. गेहूं की बाेआई के लिए सही समय 20 नवंबर से 7 दिसंबर के बीच माना जाता है, लेकिन इस बार सर्दी देर से शुरू हुई है.

कृषि वैज्ञानिक केंद्र अरियरी के मौसम विशेषज्ञ शबाना ने बताया कि जब तापमान 25 डिग्री के नीचे जाता है. तब गेहूं की खेती के लिए मौसम अनुकूल बनता है. बता दें कि पिछले 24 घंटे में अधिकतम तापमान तीन डिग्री नीचे गिरकर 22.9 डिग्री पर पहुंच गया है. वहीं न्यूनतम तापमान भी तीन डिग्री गिर कर 13.7 पर दर्ज किया गया. आने वाले दिनों में मौसम में और गिरावट आने की संभावना है.

15 दिन में शत-प्रतिशत बोवनी होने की संभावना

रबी फसल की बोवनी का काम जिस तेज गति से चल रहा है. उससे संभावना है कि 15 दिन के अंदर बोवनी का लक्ष्य शत-प्रतिशत हो जाएगा. इस साल मौसम सामान्य है और खेतों नमीं भी बरकरार है. इसलिए निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप बोवनी समय पर होने की संभावना है. वहीं ज्यादातर किसानों ने सूखे हुए खेतों की जुताई के बाद हल्की सिंचाई कर लिया है और जिन किसानों ने पहले हल्की सिंचाई कर लिया था. उन्होंने बोवनी शुरू कर दी है.

लेट वेराइटी के लिए 15 जनवरी तक समय

जिला कृषि पदाधिकारी शिवदत्त सिन्हा ने बताया कि रबी की खेती के लिए उचित समय चल रहा है. अमूमन जिले में 20 नवंबर से 7 दिसंबर तक बोवनी का सटीक समय है. लेकिन एक सप्ताह पूर्व ठंड कम थी, जिसके कारण मौसम सटीक नहीं था. अब मौसम अनुकूल हो गया है. हालांकि लेट वेराइटी के लिए 15 जनवरी तक बोवनी का समय होता है. इससे बाढ़ प्रभावित इलाके के किसानों को फायदा होगा.

सीडड्रिल और जीरोटिल से पौधे का होता है विकास

कृषि विभाग कि माने तो सीडड्रिल और जीरोटिल के जरिए गेहूं की बुवाई करने पर खेत में खाद और बीज एक साथ पहुंच सकेगा. बीज और खाद साथ में मिलने से उसमें उत्पादकता का असर तेजी से होगा और तेजी से पौधे के विकास के साथ ही उत्पादन अधिक होगा. नई विधि और नए बीज का उपयोग करें. किसान पुराने बीज और खेती करते हैं, इसीलिए उनके अपेक्षा के अनुरूप अनाज का उत्पादन नहीं होता है. गांव का सामान्य किसान एक बीघे में अधिकतम छह क्विंटल गेहूं का उत्पादन कर पाता है. मगर नई विधि और नए बीज का प्रयोग करके वह एक बीघे में 12 क्विंटल गेहूं का उत्पादन कर सकता है. इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है.

खेती पिछड़े तो लगाएं गरमा मक्का

बाढ़ प्रभावित प्रखंड घाटकुसुम्भा के कई इलाकों में देर तक पानी जमा रहने के कारण अभी भी कई खेतों में नमी बरक़रार है. ऐसे में रबी की खेती को लेकर किसान परेशान हैं. जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार ऐसे इलाकों के किसान लेट वेरायटी का गेहूं लगा सकते हैं. 15 जनवरी तक अगर खेत तैयार नहीं हो पाता है तो वे गरमा मक्का का विकल्प चुन सकते हैं. गरमा मक्का की खेती फरवरी तक होती है.

इस वर्ष जिले में दलहनी इतना है लक्ष्य
मसूर 4910,चना 3800, राई/1190, मटर 1140, तीसी 180, गरमा मूंग 4610 हेक्टेयर के क्षेत्र में करने का लक्ष्य रखा गया है

रबी की खेती का लक्ष्य


गेहूं 22,000
मक्का 1,000
दलहन 13,860
तिलहन 1,730
गर्मा फसल 5,310
कुल खेती 43,900

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