शेखपुरा: बिहार के शेखपुर जिले में हरोहर नदी (Harohar River) के जलस्तर में कमी होने के बावदूद, घाट कुसुम्भा (Ghat Kusumbha) में बाढ़ (Flood) के हालात जस का तस बना हुआ है. बाढ़ में दर्जनों फूस के घर (Thatched Houses) ध्वस्त हो चुके हैं. पीड़ित, पानी से भरे घरों के सामानों की सुरक्षा के लिए, खाट पर, चौकी पर, मचान आदि पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ से दर्जनों गांव टापू बने हैं. सड़क किनारे एवं उंचे स्थानों पर शरण लेने वालों की भी जिंदगी बदतर बन गई है.
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क्षेत्र में लगातार 20 दिनों से बाढ़ की स्थिति यथावत बनी हुई है. पानी घटने की रफ्तार धीमी रहने के कारण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगों के सामने मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ की विकरालता के बीच लोगों को अब तरह-तरह की कठिनाइयां उत्पन्न होने लगी है. स्थिति यह है कि 20 दिनों से ऊंचे स्थानों पर शरण लिए, प्रभावित बाढ़ पीड़ितों की स्थिति गंभीर बनी है. प्रखंड क्षेत्र में सड़क, बांध, गांव के ऊंचे स्थान पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित, ज्यादातर मजदूर तबके के लोग हैं.
मजदूरी करने के बाद ही इनके परिवार का भरण पोषण चलता है. लेकिन, बाढ़ की त्रासदी झेल रहे बाढ़ पीड़ित बेबस व लाचार बने हुए हैं. इन लोगों को काम भी नहीं मिल पा रहा है. जिससे इन लोगों को अब जिंदगी काटना मुश्किल हो रहा है. इधर, जिला प्रशासन भी बाढ़ पीड़ितों को और राहत के नाम पर मजाक कर रहा है. घाटकुसुम्भा प्रखंड के दो पंचायतों पानापुर व डीहकुसुम्भा पंचायत के लोगों की समस्या अभी भी बरकरार है.
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घरों में बाढ़ का पानी अभी भी घुसा हुआ है. सिर ढ़कने के लिए लोगों ने प्लास्टिक तान रखा है. भोजन व शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है. बाढ़ के पानी से ही प्यास बुझाना पड़ता है. नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने से प्रखंड के बाढ़ प्रभावित पंचायतों की स्थिति, अभी भी भयानक बनी हुई है. घरों में पानी रहने पर लोग चौकी लगाकर रहने के लिए मजबूर हैं. पानापुर महादलित टोला के दीलीप मांझी, रीना देवी बताते हैं कि घरों में पानी घुसने से बांध पर और स्कूल के छत पर खुले आसमान में शरण लिए हुए हैं.
चापाकल डूब जाने के कारण बाढ़ के पानी में ही बर्तन धोना व खाना बनाना पड़ता है. विमला देवी बताती है कि जब नाव पर कुछ बोरा व आदमी को आते देखते हैं तो आस जग जाती है कि कोई कुछ बांटने आ रहा है. लेकिन कुछ नहीं मिलता है. राहत का पैकेट जिसे मिला वह ले लिया. बाकी सब ऐसे ही लाचार बेबस बैठे हैं. नाव नहीं रहने के कारण हम लोग घरों में कैद में ही कैद हो गए हैं. इस समय हम लोग सिर्फ भगवान पर ही आस लगाए बैठे हैं.
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