शेखपुरा:जिले में आए दिन पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी वाहनों की जांच करते नजर आते हैं. आम आदमी अगर हेलमेट न पहने या गाड़ी का पेपर दुरुस्त न हो तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ता है. वहीं, कई अधिकारी नियमों को ताक पर रख फर्टाटे से गुजरते हैं, लेकिन पुलिस या परिवहन विभाग के किसी अधिकारी को उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं होती. जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक तक में तैनात अधिकारी धरल्ले से प्राइवेट गाड़ियों की सवारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं.
कमर्शियल की जगह प्राइवेट गाड़ियों का कर रहे इस्तेमाल
अधिकारियों को सरकार द्वारा वाहन की सुविधा दी जाती है. अधिकारियों की सवारी के लिए वाहन विभिन्न ठेकेदार उपलब्ध कराते हैं. नियम के अनुसार अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियां कमर्शियल (पीली नंबर प्लेट वाली) होनी चाहिए. यानि कि परिवहन विभाग में गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कमर्शियल वाहन के रूप में होना चाहिए, लेकिन ठेकेदार अधिकारियों को प्राइवेट वाहन के रूप में रजिस्टर्ड हुए वाहन उपलब्ध करा रहे हैं. अधिकारी भी नियम को ताक पर रख इन वाहनों का धरल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. एक आम आदमी अगर अपने निजी वाहन का इस्तेमाल व्यवसायिक कार्य में करे तो उसे 5-10 हजार रुपये जुर्माना और जेल की सजा तक हो सकती है, लेकिन इन अधिकारियों को टोकने की हिम्मत कौन करेगा.
सरकारी खजाने को लग रहा चूना
अधिकारी जिन ठेकेदारों के वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें तो प्रति वाहन तय रेट के अनुसार सरकार की ट्रेजरी से किराया मिल रहा है, लेकिन कमर्शियल की जगह प्राइवेट वाहन इस्तेमाल होने से सरकार को टैक्स के रूप में होने वाली आमदनी से हाथ धोना पड़ रहा है. ठेकेदार पैसा तो कमा रहे हैं, लेकिन टैक्स नहीं दे रहे.
नए निजी कार पर टैक्स रेट
गाड़ी की कीमत | टैक्स रेट |
1 लाख | वाहन की कीमत का 8% |
1-8 लाख | वाहन की कीमत का 9% |
8-15 लाख | वाहन की कीमत का 10% |
15 लाख से अधिक | वाहन की कीमत का 12% |
कमर्शियल कार पर टैक्स रेट
समय | टैक्स |
5 साल | 9 हजार |
10 साल | 11 हजार |
15 साल | 15 हजार |