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इस गांव में 1400 साल पहले साक्षात प्रकट हुई थी मां दुर्गा, ब्राह्मण को दी थी दर्शन - महेश्वरी स्थान के मान्यता शक्ति पीठ

इस जिले में मां दुर्गा श्रद्धालुओं को साक्षात दर्शन देतीं हैं. यह मंदिर मेहूंस गांव में स्थित है, जहां श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. दशहरा के अवसर पर यहां दलित वर्ग के लोग देव और सवर्ण समाज के लोग राक्षस बनकर युद्ध करते हैं.

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विश्व प्रख्यात है देवी का मंदिर

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Published : Oct 19, 2020, 12:22 PM IST

शेखपुरा: जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर मेहूंस गांव में आज भी मां दुर्गा साक्षात विराजमान हैं. इस जगह के आसपास के सैकड़ों कोस की परिधि में मेहूंस की महेश्वरी स्थान की मान्यता शक्ति पीठ के रूप में विख्यात है. मान्यता है कि आज से लगभग 1400 साल पहले यहां भगवती स्वयं प्रकट हुई थीं. उस वक्त आज के मेहूंस गांव में कोई आबादी नहीं थी और यहां दूर-दूर तक जंगल हुआ करता था.


ब्राह्मण को दिया था साक्षात दर्शन
स्थानीय लोगों के अनुसार उनके पूर्वज बताते थे कि कई शताब्दी पहले पुनपुन नदी के किनारे स्थित एक गांव के ब्राह्मण को मां दुर्गा ने स्वप्न देकर मेहूंस के जंगल में आकर दर्शन करने की बात कही थी. स्वप्न के पश्चताप ब्राह्मण कई दिन की पैदल यात्रा के बाद जब वहां पहुंचा तो, उसे मां दुर्गा ने साक्षात दर्शन दिया. तभी से यह स्थान महेश्वरी स्थान के नाम से विख्यात हो गया और कालांतर में यह गांव मेहूंस के नाम पर स्थापित हुआ. यहां शारदीय नवरात्र के अलावा वासंतिक नवरात्र में भी विशेष पूजा होती है. इसके साथ ही यहां पूरे साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. इस मंदिर के भीतर अष्टधातु की करीब चार फीट ऊंची भगवती की प्रतिमा स्थापित है.


दशहरा में राम-रावण युद्ध
दशहरा में यहां राम और रावण की सेना में युद्ध होता है. इस राम-रावण युद्ध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि राम की सेना में गांव के दलितों की टोली रहते है, जबकि रावण सेना की भूमिका गांव के सवर्ण समाज निभाते हैं. नवमी की संध्या रावण सेना पर विजय हासिल करके राम सेना दुर्गा मंदिर में प्रवेश करती है और पाठे की बलि देते हैं. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस परम्परा को पिछले कई दशकों से निभाया जा रहा है.


पौराणिक मंदिर को दिया नया रूप
मेहूंस गांव में स्थित पौराणिक देवी मंदिर को लगभग छह साल पूर्व नया स्वरुप दिया गया है. स्थानीय धनंजय उपाध्याय ने बताया की ग्रामीणों ने खुद के आर्थिक सहयोग से इस पौराणिक देवी मंदिर को नया रूप दिया है. मंदिर के भीतर काले पत्थर की भगवती की मूर्ति स्थापित है. यहां अभी के शारदीय नवरात्र और चैती नवरात्र में श्रद्धालु भक्तों की भीड़ रहने के साथ सालों भर पूजा-पाठ और मन्नत मांगी जाती है.

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