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शेखपुरा: कैदियों के बीच झड़प के बाद एसपी के निर्देश पर 'प्लेस ऑफ सेफ्टी' का निरीक्षण - बिहार अपडेट न्यूज

'प्लेस ऑफ सेफ्टी' ( Place Of Safety ) में एक सप्ताह पूर्व हुई झड़प और मारपीट की घटना के बाद शेखपुरा एसपी कार्तिकेय के. शर्मा के निर्देश पर मुख्यालय डीएसपी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया और तमाम बिंदुओं को गहराई पूर्वक जांच किया गया. पढ़ें पूरी खबर...

Sheikhpura
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Published : Sep 13, 2021, 9:28 PM IST

शेखपुरा:बिहार के शेखपुरा ( Sheikhpura ) जिले के मटोखर दह पर स्थित किशोर कैदियों के लिए बनाए गए 'प्लेस ऑफ सेफ्टी' ( Place Of Safety ) में एक सप्ताह पूर्व हुई झड़प और मारपीट की घटना के बाद शेखपुरा एसपी कार्तिकेय के. शर्मा ने संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन कर रिपोर्ट तलब किया है. जांच टीम में मुख्यालय डीएसपी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी शामिल हैं.

सोमवार को जांच टीम द्वारा प्लेस ऑफ सेफ्टी का निरीक्षण किया गया और तमाम बिंदुओं को गहराई पूर्वक जांच किया गया. इस बाबत बाल संरक्षण पदाधिकारी डॉ. अर्चना कुमारी ने बताया कि प्लेस ऑफ सेफ्टी का निरीक्षण कर लिया गया है एवं मुख्यालय डीएसपी के माध्यम से जांच रिपोर्ट एसपी को सौंप दिया जाएगा. टीम द्वारा मारपीट सहित खाने-पीने व रहने संबंधित सभी बिंदुओं पर जांच की गई. यहां रहने व खाने-पीने की व्यवस्था ठीक देखा गया.

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किशोर कैदियों के द्वारा शराब पार्टी एवं कैदियों के फरार होने की बिंदुओं पर गहनता पूर्वक जांच की गई. जिसमें यह पाया गया कि प्लेस ऑफ सेफ्टी में क्षमता से अधिक किशोर कैदियों को रखा गया है. जिसकी वजह से विधि व्यवस्था कायम रखने में समस्या उत्पन्न हो रही है. ऐसे में किशोर कैदियों को दूसरे जिलों में स्थानांतरित किये जाने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने बताया कि पहले राज्य में मटोखर दह स्थित प्लेस ऑफ सेफ्टी एकलौता किशोर सुधार गृह था. वर्तमान में औरंगाबाद एवं सहरसा में भी प्लेस ऑफ सेफ्टी में किशोर कैदियों को रखा जा रहा है. शेखपुरा के प्लेस ऑफ सेफ्टी में किशोर कैदियों की रखने की क्षमता मात्र 50 है, लेकिन वर्तमान में 85 किशोर कैदियों को रखा गया है. ऐसे में औरंगाबाद में एक किशोर कैदी को शिफ्ट किया जा चुका है एवं 11 किशोर कैदियों को सहरसा प्लेस ऑफ सेफ्टी में सेफ्टी में शिफ्ट करने की कवायद की जा रही है.

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गौरतलब है कि इस प्लेस ऑफ सेफ्टी होम में 18 से 22 साल के वैसे किशोर कैदियों को रखा जाता है जो गंभीर मामलों में लिप्त हो. हालांकि इनके मानसिक सुधार हेतु मनोरंजन एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है ताकि इनके आचरण में सुधार हो सके. प्लेस ऑफ सेफ्टी में क्रिकेट, म्यूजिक व पेंटिंग जैसे क्रियाकलापों के जरिये इनको प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि यहां से जाने के बाद किशोर कैदी तमाम लोगों की तरह जीवन के मुख्यधारा से जुड़ सकें.

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