बिहार

bihar

ETV Bharat / state

व्यवसायी से DM आवास में 1.5 लाख की ठगी, शातिर ने खुद को बताया था सरकारी इंजीनियर

बिहार के शेखपुरा में जालसाजी का एक बड़ा मामला सामने आया है. एक शक्स ने खुद को पीएचईडी इंजीनियर बताकर समरसेबल बोरिंग लगाने के नाम पर एक व्यवसायी से डेढ़ लाख रुपये की ठगी की है. ठगी का तरीका जानकर आप हैरान रह जाएंगे. पढ़िए पूरी खबर..

Fraud In Shiekhpura
Fraud In Shiekhpura

By

Published : Oct 27, 2021, 3:13 PM IST

शेखपुरा: जिले के सिरारी बाजार से एक सीमेंट व्यवसायी से डेढ़ लाख रुपये की ठगी (Fraud In Shiekhpura) का मामला सामने आया है. ठगी के इस मामले में सिरारी थानाध्यक्ष लीलाधर झा और शेखपुरा डीएम आवास (Sheikhpura DM Residence) के कर्मियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है. जानकारी के मुताबिक सिरारी थाना में सौर ऊर्जा से संचालित समरसेबल बोरिंग कराने को लेकर थानाध्यक्ष से एक व्यक्ति मिला, जो तथाकथित रूप से खुद को पीएचईडी का इंजीनियर बता रहा था. पीड़ित का आरोप है कि सिरारी थानाध्यक्ष ने ही उसे ठग से मिलवाया था.

यह भी पढ़ें- ठगी का नायाब तरीका: 'मुट्ठी बांधकर 21 बार लक्ष्मी का नाम लीजिए... 81 कदम चलकर आइए...'

ठगी का शिकर हुए सीमेंट व्यवसायी बालमुकुंद सिंह ने बताया कि थानाध्यक्ष उस ठग को अपनी स्कूटी में लेकर आए थे. उस समय समरसेबल बोरिंग गड़ाने को लेकर बात हुई. जिसमें बालमुकुंद सिंह ने कार्य करने में असमर्थता जताई एवं थानाध्यक्ष के द्वारा जोर दिये जाने पर उन्होंने मदारी निवासी रामदेव यादव का नाम सुझाया. मौके पर बालमुकुंद कुमार ने रामदेव यादव को बुला लिया.

देखें वीडियो

यह भी पढ़ें- नवादा: जमीन रजिस्ट्री के नाम पर 70 लाख की ठगी मामले में पिता-पुत्र गिरफ्तार

सिरारी थानाध्यक्ष, रामदेव यादव को लेकर सिरारी थाना स्थल चयन किये एवं मौके पर रामदेव यादव के आधार कार्ड पर अपने मोहर और हस्ताक्षर कर रामदेव यादव को समरसेबल लगाने का अभिकर्ता बनाये जाने का अनुशंसा कर दी. खुद को तथाकथित इंजीनियर बताने वाले साइबर ठग, रामदेव यादव को योजना के कार्य के बदले पैसे का चेक दिलाने एवं समरसेबल कार्य मे प्रयुक्त होने वाली सामग्री दिलाने के नाम पर शेखपुरा डीएम आवास ले गया. जहां उसने चेक दिलाने से पहले डेढ़ लाख रुपये नगद लिए और मौके से फरार हो गया.

यह भी पढ़ें- MP से बिहार आकर फंस गये ये बेचारे, लड़की तो मिली नहीं, लुट गये 60 हजार

इस बाबत सीमेंट व्यवसायी बालमुकुंद कुमार उर्फ बबलू सिंह ने बताया कि सिरारी में मेरी सीमेंट और खाद की दुकान है. 22 अक्टूबर को सिरारी थानाध्यक्ष लीलाधर झा सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर एक व्यक्ति को लेकर मेरी दुकान पर आए और उन्होंने कहा कि यह पीएचईडी का एक्सक्यूटिव इंजीनियर है.

"थानाध्यक्ष लीलाधर झा हमसे बोले कि थाना परिसर में सौर ऊर्जा से संचालित समरसेबल गाड़ना है, इसलिए ये काम आप ही करवा लीजिए. आपको भी कुछ इनकम हो जाएगा. मैंने उनसे कहा कि मुझे ये सब काम करने की फुर्सत नहीं है. फिर थानाध्यक्ष ने कहा कि आप अगर खुद नहीं करवा सकते हैं तो आप अपने किसी आदमी से ही बोरिंग का काम करवा दीजिए. इस पर मैंने मदारी गांव निवासी रामदेव यादव को फोन कर बुलाया. डेढ़ लाख दिया था.तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर के साथ डेढ़ लाख रुपये लेकर डीएम आवास गया. फिर पैसा लेकर फरार हो गया."- बालमुकुंद कुमार उर्फ बबलू सिंह, सीमेंटव्यवसायी

व्यवसायी ने बताया कि तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर ने कहा कि ये 5 लाख 20 हजार की योजना है और डीएम आवास में समरसेबल गड़ाने संबंधित सभी सामग्री रखा हुआ है. आप चल कर वहां से सामान उठा ले. वहां पर आपको 5 लाख 20 हजार का चेक डीएम से हस्ताक्षर करवाकर देंगे. सामान के एवज में डेढ़ लाख रुपया आपको नगद देना होगा. थानाध्यक्ष के विश्वास पर मैंने रामदेव यादव को डेढ़ लाख रुपये दे दिए. तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर के साथ डेढ़ लाख रुपये लेकर डीएम आवास गया. जहां तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर ने रामदेव यादव को बाहर गेट पर रुकने को कहा और वह खुद अंदर चला गया.

बालमुकुंद ने बताया कि डीएम आवास से 15 मिनट बाद ठग लौटकर बाहर आया और उसने कहा कि डीएम साहब जाने वाली है. आप डेढ़ लाख रुपया जल्दी से मुझे दे दीजिए, फिर आपको हम डीएम मैडम से चेक पर हस्ताक्षर करवाकर चेक दे देंगे. रामदेव यादव ने डेढ़ लाख रुपये नगद उसको दे दिए. इसके बाद उसने कहा कि आप अपना आधार कार्ड का फोटो कॉपी कराकर जल्दी लाइये. जब रामदेव यादव फ़ोटो कॉपी कराकर वापस लौटे तो वो पीएचईडी का तथाकथित इंजीनियर डीएम आवास से गायब था. काफी देर इंतजार करने के बाद वो जब वापस नहीं लौटा तो वो खुद को ठगा महसूस करते हुए रामदेव यादव ने मुझे फोन किया. मैंने रामदेव यादव से फोन नंबर लेकर उस तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर को फोन किया तो उसने खुद को साइबर ठग बताया.

तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर के विरुद्ध शेखपुरा थाना में मामला दर्ज करवाया गया है. व्यवसायी ने एसपी को आवेदन देकर अपने पैसे को वापस दिलाने की गुहार लगाई है. हालांकि सिरारी थानाध्यक्ष लीलाधर झा खुद को इस मामले में निर्दोष बताते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं. लेकिन तथाकथित ठग के झांसे में कहीं न कहीं वो खुद भी फंसते दिख रहे हैं. जिसकी गवाही बालमुकुन्द कुमार के दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज दे रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ, डीएम आवास में कार्यरत कर्मचारियों की भूमिका काफी संदिग्ध दिख रही है कि आखिर वो तथाकथित इंजीनियर कौन था, जिसको डीएम आवास में आसानी से प्रवेश दे दिया गया और किसी ने रोका टोका तक नहीं.

तथाकथित पीएचईडी ठग द्वारा ठगी मामले में खुद को पाक साफ बताते हुए सिरारी थानाध्यक्ष लीलाधर झा ने बताया कि तथाकथित पीएचईडी इंजीनियर मेरे थाना में आया था, लेकिन मैं उसको नहीं जानता. खुद को पीएचईडी का इंजीनियर बताने वाला व्यक्ति थाना का नक्शा और समरसेबल गाड़ने का एस्टीमेट बनाकर लाया था. वो मुझसे स्थानीय स्तर पर किसी आदमी की तलाश कर रहा था, जो इस कार्य को करवा सके.

थानाध्यक्ष का कहना है कि मैंने इनकार किया तो उसने मुझसे किसी सीमेंट दुकान का पता बताने को कहा. मैंने बाजार में जाने को कह दिया. उसके जाने के 15 मिनट बाद में दवा और चावल लेने बाजार गया. लौटने के क्रम में वो व्यक्ति बालमुकुंद कुमार के सीमेंट दुकान पर बैठा हुआ था. उनलोगों के द्वारा बुलाये जाने पर ही मैं वहां गया था. इस बीच उन लोगों के बीच लेनदेन की क्या बात हुई, ये मुझे नहीं पता. बाद में स्थल चयन को लेकर तथाकथित इंजीनियर और रामदेव यादव थाने में आये.

थानाध्यक्ष लीलाधर झा ने बताया कि खुद को पीएचईडी का इंजीनियर बताने वाले व्यक्ति ने रामदेव यादव को समरसेबल गड़ाने के कार्य में अभिकर्ता बनाने को लेकर मुझे उसके आधार कार्ड पर हस्ताक्षर व मुहर लगाने को कहा था. मैंने थाने के हित में होने वाले कार्य को समझते हुए रामदेव यादव के आधार कार्ड पर मुहर व हस्ताक्षर कर दिए. इसके अलावा इस घटना से मेरा कोई लेना देना नहीं है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details