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बाढ़ की वजह से मछुआरे परेशान, तालाब-पोखर डूबने से करोड़ों का नुकसान - loss of crores due to sinking of pond

शेखपुरा के किसानों प्राकृतिक आपदा से त्राहिमाम कर रहे हैं. पहले कोरोना फिर यास तुफान और अब बाढ़ से किसानों की माली हालत काफी खराब हो चुकी है. बाढ़ की वजह से दर्जनों मत्स्य पालकों के पोखर बाढ़ के पानी मे डूब गए हैं. जिससे हजारों क्विंटंल मछलियां बाढ़ के पानी में बह गई.

बाढ़ की वजह से मछुआरे परेशान
बाढ़ की वजह से मछुआरे परेशान

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Published : Sep 5, 2021, 9:48 AM IST

शेखपुरा:बिहार के शेखपुरा जिले में शेखपुरा सदर प्रखंड (Sheikhpura Sadar Block) व घाटकुसुम्भा प्रखंड (Ghatkusumbha Block) में कोरोना(Corona) के साथ बाढ़ (Flood) ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन (Lockdown) ने सबके जीवन (Life) को प्रभावित किया है. जिसमें मछुआरा समुदाय (Fishing Community) भी है. जिनकी, रोजी-रोटी (Livelihood) मछलियों के व्यापार (Fish Trade) पर टिकी होती है. पिछले महीने से लगातार बारिश व बाढ़ (Incessant Rain And Floods) के कारण मत्स्य पालकों (Fishermen) के करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.

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बाढ़ की वजह से दर्जनों मत्स्य पालकों के पोखर बाढ़ के पानी मे डूब गए हैं. जिससे हजारों क्विंटंल मछलियां बाढ़ के पानी में बह गई. गौरतलब है कि राज्य सरकार के द्वारा मत्स्य पालन में बढ़ावा देने हेतु, निजी भूमि पर तालाब बनवाये गये थे. जिसमें, जिले के सैकड़ों किसान, अपनी निजी जमीन पर तालाब खुदवाकर मत्स्य पालन कर रहे हैं.

घाटकुसुम्भा प्रखंड में भी बड़ी संख्या में किसान तालाब खुदवाकर मत्स्य पालन कर रहे थे. लेकिन, इस बार पानी की अधिकता के कारण मछलियां बाढ़ के पानी मे बह गई, इस बाबत मत्स्य सोसायटी के सचिव जदु साहनी ने बताया कि लाखों रुपये के मत्स्य बीज एवं पिछले साल की मछलियां जो तालाबों में पाली जा रही थी, हरोहर के जलस्तर में वृद्धि होने की वजह से तालाबों में भर गई और सारी मछलियां पानी मे बह गई.

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वहीं, घाटकुसुम्भा प्रखंड में बहने वाली हरोहर नदी से मछली निकालकर, अपनी जीविका चलाने वाले सैकड़ों मछुआरे परिवार जलस्तर की अधिकता के कारण घर बैठने पर मजबूर हैं, गौरतलब है कि, आधा भादो महीना बीतने के उपरांत, हरोहर नदी के जलस्तर में काफी कमी हो जाती थी. जिससे, सैकड़ों परिवार नदी में जाल लगाकर मछली मारने का काम करते थे. इन परिवारों की सारी रोजी-रोटी इन मछलियों पर ही निर्भर करती थी.

यहां के मछली का कारोबार दूर-दूर तक फैला हुआ था. मछुआरे नदी से मछली निकालकर बिहार-झारखंड सहित बंगाल के कलकत्ता तक आपूर्ति करते थे. इस बाबत हरोहर नदी से मछली निकालकर अपनी जीविका चलाने वाले योगेंद्र साहनी, कृष्ण साहनी, ओम साहनी, उपेंद्र साहनी, बनारसी साहनी सहित दर्जनों मछुआरों ने बताया कि आधा भादो बीतने तक हरोहर नदी का पानी कम हो जाता था.

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जिसके उपरांत हमलोग नदी में बोहा और महाजाल लगाकर मछली निकालने का काम करते थे. हमारे द्वारा नदियों से निकाली गई, मछलियां स्थानीय बाजारों सहित झारखंड-बंगाल तक भेजी जाती थी. ज्यादा मछली मिलने पर हमलोग, उसको सूखा कर बेचते थे. सुखी मछली की बंगाल में बहुत ज्यादा मांग है. लेकिन, लगातार दूसरे साल आई बाढ़ ने हमारी कमाई पर ग्रहण लगा दिया है.

बाढ़ की वजह से हमलोगों के करोड़ों रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है. मछली का व्यापार ठप्प होने से हमलोगों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. यास तूफान ने पूरे जिले में व्यापक तबाही मचाई थी. जिससे, किसानों के खेतों में लगे सैकड़ों एकड़ मूंग, दलहन, सब्जियों सहित प्याज की फसल बर्बाद हो गयी थी. यास तूफान से हुए फसल का आंकलन कृषि विभाग द्वारा किया गया था.

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किसानों को अपने फसल नुकसान की मुआवजा राशि अब तक नही मिली है. हालांकि, अब यास तूफान से हुए नुकसान की भरपाई को लेकर ऑनलाइन आवेदन लिया जा रहा है. जिसके, भौतिक सत्यापन के बाद ही मुआवजा मिलने के आसार है. यास तूफान के बाद अब हरोहर नदी में आई बाढ़, किसानों के सामने नई मुसीबत बनकर खड़ी है. जिसने किसानों की फसलों को डुबोकर नष्ट तो किया ही, साथ मे न जाने कितनों के आशियाने तबाह हो गये. जो पीड़ितों के दिल मे टिस बनकर दिनों-दिन चुभते रहेंगे.

बता दें कि बिहार के शेखपुर जिले में हरोहर नदी (Harohar River) के जलस्तर में कमी होने के बावदूद, घाट कुसुम्भा (Ghat Kusumbha) में बाढ़ (Flood) के हालात जस का तस बना हुआ है. बाढ़ में दर्जनों फूस के घर (Thatched Houses) ध्वस्त हो चुके हैं. पीड़ित, पानी से भरे घरों के सामानों की सुरक्षा के लिए, खाट पर, चौकी पर, मचान आदि पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ से दर्जनों गांव टापू बने हैं. सड़क किनारे एवं उंचे स्थानों पर शरण लेने वालों की भी जिंदगी बदतर बन गई है.

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