शेखपुरा:बिहार के शेखपुरा जिले में शेखपुरा सदर प्रखंड (Sheikhpura Sadar Block) व घाटकुसुम्भा प्रखंड (Ghatkusumbha Block) में कोरोना(Corona) के साथ बाढ़ (Flood) ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन (Lockdown) ने सबके जीवन (Life) को प्रभावित किया है. जिसमें मछुआरा समुदाय (Fishing Community) भी है. जिनकी, रोजी-रोटी (Livelihood) मछलियों के व्यापार (Fish Trade) पर टिकी होती है. पिछले महीने से लगातार बारिश व बाढ़ (Incessant Rain And Floods) के कारण मत्स्य पालकों (Fishermen) के करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.
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बाढ़ की वजह से दर्जनों मत्स्य पालकों के पोखर बाढ़ के पानी मे डूब गए हैं. जिससे हजारों क्विंटंल मछलियां बाढ़ के पानी में बह गई. गौरतलब है कि राज्य सरकार के द्वारा मत्स्य पालन में बढ़ावा देने हेतु, निजी भूमि पर तालाब बनवाये गये थे. जिसमें, जिले के सैकड़ों किसान, अपनी निजी जमीन पर तालाब खुदवाकर मत्स्य पालन कर रहे हैं.
घाटकुसुम्भा प्रखंड में भी बड़ी संख्या में किसान तालाब खुदवाकर मत्स्य पालन कर रहे थे. लेकिन, इस बार पानी की अधिकता के कारण मछलियां बाढ़ के पानी मे बह गई, इस बाबत मत्स्य सोसायटी के सचिव जदु साहनी ने बताया कि लाखों रुपये के मत्स्य बीज एवं पिछले साल की मछलियां जो तालाबों में पाली जा रही थी, हरोहर के जलस्तर में वृद्धि होने की वजह से तालाबों में भर गई और सारी मछलियां पानी मे बह गई.
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वहीं, घाटकुसुम्भा प्रखंड में बहने वाली हरोहर नदी से मछली निकालकर, अपनी जीविका चलाने वाले सैकड़ों मछुआरे परिवार जलस्तर की अधिकता के कारण घर बैठने पर मजबूर हैं, गौरतलब है कि, आधा भादो महीना बीतने के उपरांत, हरोहर नदी के जलस्तर में काफी कमी हो जाती थी. जिससे, सैकड़ों परिवार नदी में जाल लगाकर मछली मारने का काम करते थे. इन परिवारों की सारी रोजी-रोटी इन मछलियों पर ही निर्भर करती थी.
यहां के मछली का कारोबार दूर-दूर तक फैला हुआ था. मछुआरे नदी से मछली निकालकर बिहार-झारखंड सहित बंगाल के कलकत्ता तक आपूर्ति करते थे. इस बाबत हरोहर नदी से मछली निकालकर अपनी जीविका चलाने वाले योगेंद्र साहनी, कृष्ण साहनी, ओम साहनी, उपेंद्र साहनी, बनारसी साहनी सहित दर्जनों मछुआरों ने बताया कि आधा भादो बीतने तक हरोहर नदी का पानी कम हो जाता था.